सत्य, अहिंसा परमो धर्म से गूँजा विश्व

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** ये प्यारा देश हिंदुस्तान, मेरे सपनों का है अरमान,मेरे राजा थे राजस्थान, निराली सारी उनकी शान,कटा दें देश की खातिर, हो सौ-सौ सिर कुर्बान,हमारे वीर…

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प्रकृति रंग बिखराती

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** मेघ, सावन और ईश्वर... दुल्हन-सी सजी है धरती,प्रकृति रंग बिखराती हैजल से भरी लबालब नदियाँ,मधुर संगीत सुनाती है। सावन में बारिश की बूंदें,सबके मन को भाती हैसूरज…

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झांसी की रानी

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* पिता श्री मोरोपन्त, माता भागीरथी की बेटी मन्नू,जैसे-जैसे बढ़ती गई सर्वगुण सम्पन्न हो गई मन्नू। तीर-धनुष, घुड़सवारी सीख ली, चलाना तलवार,आँख दिखा कर कहती थी फिरंगी…

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विनती हमारी

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’मुंगेर (बिहार)********************************************** सुन लो पुकार प्रभु,मैं आई तेरे द्वारविनती हमारी प्रभु,कर लो स्वीकार।सुन लो… तुम ही तो हो प्रभु,मेरा जीवन आधारमेरी नैया भवसागर डोले,कर दो बेड़ा पारसुन लो……

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ख्याल

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** एक आहट-सी हुई,जैसे तुमने आवाज दी होनींद में नहीं था,ख्याल में गुमसुम-सा लेटा थाहवा के झोंके से,तुम्हारी टंगी तस्वीर हिल-सी गईतस्वीर पर डली माला,नीचे गिर गई। मुझे…

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अनुकम्पा बरसाओ

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** मेघ, सावन और ईश्वर... रिमझिम बरसो सावन तुम, ईश्वर की अनुकम्पा बरसाओशीतल-शीतल बूँदों के परस से, धरती की तपन बुझाओ। काले-काले मेघा ला कर, षड ऋतुओं…

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शिव शंकर का रूप निराला

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* मेघ, सावन और ईश्वर... शिव शंकर का रूप निराला,मेरा शंकर बड़ा भोला-भाला। आशुतोष शिव हैं ये कहलाते,जो थोड़े में ही खुश हो जाते।सावन में…

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मनभावन सावन आए

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’,जोधपुर (राजस्थान)************************************** मेघ, सावन और ईश्वर... मनभावन सावन आए,हरियाली खूब लाएसावन का महीना,ये बारिश की बूँदेंबूँदों का पानी,बहती नदिया का पानीये मौजों की रवानी,ये बदरी ओस की…

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चुपके से आती रही

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* वो चुपके-चुपके से आती रही, शरमाती रही,धीरे-धीरे आसमां में वो यूँ ही शरमाती रही। कभी सिमटना कभी खिल जाना,कभी छिपना ये सिलसिला जारी रहाकभी बादलों में…

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जार-जार रोती है प्रकृति

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** मानव जन्म मिला है तो जीवन को सफल कर ले,सब प्राणी सुख से जी पाएँ, ऐसे काम कर ले। जार-जार रोती है प्रकृति अपना दोहन देख,क्या तुझको…

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