जीवन ‘इंटरनेट’ हुआ

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* जीवन सारा 'इंटरनेट' हुआ है,खुली हवाओं में 'सेट' हुआ है। काव्य पाठ और कवि सम्मेलन,ऑनलाइन और नेट हुआ है। बिन देखे ही शादियाँ हो रही…

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कचोटन

रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** तमाम उम्र,भारी-भारी नामों कोसहेजने की प्रथा है! तुम्हें पता है ?यह कितनों की,कितनी बेबस व्यथा है ? दिग-दिगन्त तक चलने वाले,नामधारी रिश्ते!तमगे हैं दायित्व के…बेमुरव्बत जिम्मेदारियों…

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अश्क़ पोंछे कौन गरीबों के

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* गरीबी के आँसू की धारा, अविरत प्रवहित अवसाद कहे,लोकतन्त्र नेता का नारा, दीन- हीन स्वयं हमराह कहे। निशिवासर मेहनतकश अविरत, दुनिया उनको मजदूर कहे,भूख-प्यास…

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हिफ़ाज़त

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* इबादत-सी मुहब्बत की खुदा करते 'हिफ़ाज़त भी,कभी करके सभी देखो इबादत से इनायत भी। किसे मालूम कब क्या हो, परस्तिश को नफासत दो,बनेंगे काम सब…

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रंगों की बहार

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ रंग रंगीला फागुन,लाया है खुशियों का संदेशइस रंग-बिरंगी दुनिया में,जहां भी देखो रंगों की बहार है। यह फागुन की अठखेलियाँ हैं,यह उंमगता का त्योहार हैराधा…

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गूँज उठी है धरती

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* एक गूँज आ रही हैबर्फ से ढके उस पर्वत शिखर से,हरे-भरे वनों से घिरी उस पर्वत माला केगहरे रहस्यों को उजागर करती। एक गूँज उठी हैनिर्मल…

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मन को समझाऊँ कैसे

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** भक्ति मन में जगी,नव गीत गाऊँ कैसे ?भजन छूटा, सितार टूटा,मन को समझाऊँ कैसे ? भक्ति दिखाऊँ कैसे,फूलों की माला सजाऊँ कैसेवक्त फिसला मुट्ठी में रेत-सा,मन में…

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रिश्ते निभाते रहिए

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** ध्यान रखिए सदा औरों को बताते रहिए,रिश्ते हमदर्दी के सही, सबसे निभाते रहिए। भूखा सोया है अगर कोई जगाते रहिए,होगा सब ठीक, यही ख़्वाब दिखाते रहिए। क्या…

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रंग मांग के लाना

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* आया फागुन का मस्त महीना,होली खेले बच्चे, मरद, जनानाअरे भाई कोई तो दौड़ के जाना,फूलों से रंग मांग करके लाना।आया फागुन…. गुलाब से थोड़ा…

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दुनिया का दस्तूर

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** धन में अंधा हो रहा,घमंड में चकनाचूरभले-बुरे का ज्ञान नहीं,ज़ुल्म करें भरपूर। कैसे-कैसे रास रचाएं,नशे में हो रहा है चूरआँखों में शर्म नहीं है,जम्प करें जैसे लंगूर।…

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