मेरी खिड़की पर आ जा तितली

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मेरी खिड़की पर आ जा तितली, सतरंगी मधुरिम उड़ान हैखुशियाँ सुख मुस्कानों भर दे, सत्य प्रकाशित नव विहान हैमनमानी करती उड़ती चहुँ खोल पंख…

Comments Off on मेरी खिड़की पर आ जा तितली

बरखा बहार

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** बरखा बहार,कर हरियाली का श्रृंगारकड़कड़ाती बिजली,डराती पंछियों कोनाचता मोर निडर होकर,कर रहा स्वागतइंद्रधनुष का,जो बादल के बीच सेनाचते मोर को दे रहा हौसला। आम के झुरमुट…

Comments Off on बरखा बहार

फूलों की महक

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* रंग-बिरंगे फूल खिले हैं,कितने प्यारे फूल खिले हैंखिले हैं फूल महकते हुए,ताज़ा हैं फूल बिखरे हुए। मुस्कुराकर खिलते हैं फूल,इठलाकर खिल उठे हैं फूलनन्हे से फूल…

Comments Off on फूलों की महक

कहने को व्याकुल

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* सतहों पर खामोशी हैपर मन में कितना शोर है,चुप-चुप सी लगती दीवारें…अंदर की बात और है। कहने को व्याकुल-सी खटियाकरती चरमर दिन-रात है,आजू-बाजू से निकल रहे…पर…

Comments Off on कहने को व्याकुल

बस अच्छे इंसान बनो

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** अच्छे इंसान बनो,बस विद्वान बनो। कभी ना लड़ना,बस आगे बढ़ना। होना खूब सफल,तभी सुनहरा कल। सबको उम्मीद तुमसे,गिरना ना डगर से। तुम्हीं भविष्य कल का,अच्छे काम…

Comments Off on बस अच्छे इंसान बनो

बेचैनी क्यों…?

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* बेचैनी क्यों है इतनी,जब हर समस्या का हल है। आज परेशान हो जितना,उतनी ही खुशियाँ कल है। सुख-दुःख है आना-जाना,यही सत्य अटल है। चिंताओं में गुम ना…

Comments Off on बेचैनी क्यों…?

समाज मौन है और मैं भी…

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आपाधापी मृगतृष्णा का, भागमभागी अविरत पथ है।किसकी चिन्ता किसको चिन्ता मौन आज सामाजिक मठ हैजान और पहचान वृथा सब,है अपनापन रिश्तों का गम,कहाँ सत्य…

Comments Off on समाज मौन है और मैं भी…

जेठ दुपहर सताए

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** उफ़ ! जेठ दुपहर तड़पाए,लगे ज्यों यह दहक-दहकाएतपती धूप ज़िया तड़पाए,ज़िया बेचैन हलक सुखाए। दुपहर बेदर्द पौन छुपाए,रूह, अटक हुलार तरसाएरूठीं ज्यों, विरहिणी दुखियाए,जेठ दोपहरी…

Comments Off on जेठ दुपहर सताए

आओ करें योग

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* योग दिवस विशेष.... सब अपने तन-मन से दूर करें रोग,आओ करें योगसंजीवनी है यह सेहत की,रखे सबको निरोग।आओ करें योग… प्राणायाम स्वस्थ मन का प्राण,स्वस्थ शरीर के…

Comments Off on आओ करें योग

प्रकृति कितनी सुंदर

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** प्रकृति कितनी सुंदर,खुशबूदार फूलसुंदर सजीले फल,हरियाली की चादर बिछीझरने की जैसे खिलखिलाती आवाज। कोयल की कूक,तैरते कमलतितलियाँ भौंरे संग खेलती,पहाड़ों पर जाती पगडंडियाँशीतल हवा,पीपल के नीचे…

Comments Off on प्रकृति कितनी सुंदर