ऋतु बसंत मनभावन

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** वसंत पंचमी:ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव... आई ऋतु बसंत मनभावन,किया प्रकृति ने नव श्रृंगारपीली सरसों मन ललचाया,अनुपम प्रकृति का यह उपहार। चलती मधुर बयार सुगंधित,हर्षित होते…

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किसने रची विजय गाथा…?

ऋचा गिरिदिल्ली******************************** कहीं तन की व्यथा,कहीं धन की व्यथाकहीं मन की व्यथा,यही है जन-जन की व्यथा। फिर…किसने रची विजय गाथा…?

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हम दोनों के दरमियान दीवार

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** दरमियान हम दोनों के दीवार,वक्त ने भी कैसी करी है दरकारसुनता कोई भी नहीं जब होती,है कोई बात अपना भी नहीं सार। जब दोस्त की…

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पुरवाई मद्धम-मद्धम

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव... पवन की यह पुरवाई,चल रही है मद्धम-मद्धममौसम बदल रहा है,आ गई है बसंत बहार। ये ऋतुओं का…

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कौन-सा भारत श्रेष्ठ है!

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** कौन-सा भारत मेरा है ?इधर महाकुंभ त्रासदीउधर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी,इधर जनसैलाब की चीखेंउधर पर्यटन की चकाचौंध,इधर धूल, भीड़, बदइंतज़ामीउधर ऊँचाई, भव्यता, महिमा,इधर मिट्टी में सने…

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विद्या एक वरदान

मानसी श्रीवास्तव ‘शिवन्या’मुम्बई (महाराष्ट्र)****************************************** वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव.... माँ सरस्वती की महिमा से,हुआ विद्या का उद्गम। बिना भेदभाव किए नर-नारी में,विद्या का प्राप्त करने का अवसर।…

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ऋतुराज तुम्हारा स्वागत

रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव... देख रहे ऋतुराज कनखियोंस्वप्न-चिरैया कुछ चहकी है,गेंदा ऑंगन में बिखरा हैकुसुमित हो देहरी महकी है। महुवा की सुरभित…

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ज्ञान की गंगा

सुनीता रावत अजमेर(राजस्थान) ******************************************* आई बसंत पंचमी,वातावरण में छाई बहारहर दिशा में गूँज रहा,वीणा का मधुर संचार। पीले फूलों की चादर से, सजी धरा की रानी,सरसों के खेतों में देखो, प्रकृति…

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वक़्त के सितम

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* दिन में तारे दिखा देते हैं,रात अंधेरी कर देते हैंवक्त के ये बदलते सितम,हाय, रोम-रोम कंपा देते हैं। महकती हुई बहारों में,खिलती हुई कलियों काये वक्त…

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खो गया वसंत…

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव.... हम आधुनिक हैं…न मन में उमंग,न तन में तरंगन जीवन में उछंग,कहीं खो गया है वसंत…। हम आधुनिक हैं…आधुनिकता…

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