सरल सादगी जीवन सरिता ‘गीता’

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** इस धरा पर अवतरित हुई जीवन सार आदरणीय गीता,जीवन इनका सरल सादगी से परिपूर्ण जैसे बहती जीवन सरिता। जिंदगी के हर मुश्किल पड़ाव पर अडिग शिला,हरेक…

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जय माँ सरस्वती

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’मुंगेर (बिहार)********************************************** जय -जय-जय माँ सरस्वती,हे सकल विश्व भव तारिणीतेरे शरण मैं आई माता,जय माँ कष्ठ निवारिणी। शुभ्रवस्त्रा धारिणी माता,जय माँ हंस सवारिनीजय-जय-जय पद्मासना देवी,हे माँ ज्ञान प्रकाशिनि।…

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स्नान का खेला है जीवन

ऋचा गिरिदिल्ली******************************** जीवन स्नान का खेला है...?या कुम्भ के स्नान का मेला...? जीवन चक्र जब शुरू हुआ स्नान से,यही चक्र फिर ख़त्म हुआ स्नान पर। पहला पाप शुरू करने से…

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प्रजातंत्र-गणराज्य

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* गणतंत्र दिवस:लोकतंत्र की नयी सुबह (२६ जनवरी २०२५ विशेष)... "लोगों ने, लोगों के लिएलोगों द्वारा चलाई गई सरकार",ऐसा ही कुछ कहा था अब्राहम लिंकन नेप्रजातंत्र के…

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कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* तुमसे अब महीनों बादमुलाक़ात होती है,दिन में न सहीसपनों में बात होती है। गिले-शिकवे सब भुलाकरदिल ही दिल ने तकरार होती है,तेरे कदमों की आहट सुनकरखुशियों…

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ऐसे ही आता ‘वसंत’

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव... वसंत के आने सेमन गुनगुनाता,प्यार का पंछी भीकोयल संग गुनगुनाता है,उन्हें देखधड़कन ऐसी धड़कती, किटेसू भी शरमा जाता हैकहते…

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चलो कुम्भ चलें

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** प्रयागराज आपके स्वागतके लिए सजा है,१४४ साल बाद कुम्भका अलग मजा है। त्रिवेणी संगम मेंडुबकी लगाएं,अपना जीवनसफल बनाएँ। देश-विदेश से लोगकुम्भ आ रहे हैं,सनातन…

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भारत देश हमारा

मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* गणतंत्र दिवस:लोकतंत्र की नयी सुबह (२६ जनवरी २०२५ विशेष).... जन गण मन सबसे प्यारा,जय-जय भारत देश हमारा।सारे जग में सबसे न्यारा,जय-जय भारत देश हमारा॥ लोकतंत्र की…

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मुश्किल जीना हो जाता

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** कुछ समाज की रीति बुरी है,सच कहती हूँ बात खरी है,माँ की ममता, बहन का प्यार,हो जाता बिलकुल बेकार। अगर पति का साथ नहीं है,जीने का आधार…

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चढ़ता गया प्रगति के सोपान

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** गणतंत्र दिवस:लोकतंत्र की नयी सुबह (२६ जनवरी २०२५ विशेष)... पराधीन शासन का डंडा था, थी पराधीन जनता,स्वतंत्र भारत में भी रही थी, अंग्रेजों की मान्यताऐसे में…

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