ज़िंदगी का क्या भरोसा ?

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** अहमदाबाद विमान हादसा... ज़िंदगी का क्या भरोसा,उड़ते-उड़ते बिखर गए सपनेउड़ान भरी थी, उम्मीदों ने,और आँखों में था कल का नक़्शा। सुबह की फ्लाइट थी,बच्चे ने…

Comments Off on ज़िंदगी का क्या भरोसा ?

काश! वे लौट आएं

ऋचा गिरिदिल्ली*************************** अहमदाबाद विमान हादसा... किसको पता था ?ये गति एक दिन त्रासदी लाएगी। उन्हें जाना था अपनों से दूर,पर इतनी भी दूर नहीं कि वेलौट ना सकें। विकास इतना…

Comments Off on काश! वे लौट आएं

एक पल में सब बदल गया…

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** अहमदाबाद विमान हादसा... हवा में था एक सपना, उम्मीदों का कारवाँ,नज़रों में थी मंज़िलें, दिलों में था आसमाँपर वक्त ने बदली यूँ राह, तक़दीर ने ली…

Comments Off on एक पल में सब बदल गया…

पानी भी प्लास्टिक में…

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** देखो तुम सब देखो,हर ओर कबाड़ा हैहम सबने डाला है। सब्ज़ी फल और किराना,सब प्लास्टिक में मिलताजो कभी नहीं गलता। कपड़ा, बर्तन, फैशन,सबमें ये समाया हैक्यों इसको…

Comments Off on पानी भी प्लास्टिक में…

गौरवान्वित ‘हिन्दी’

सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’जयपुर (राजस्थान)*********************************************** हिन्दी का तो स्पंदन प्यारा,हिन्दी का वैभव न्याराआलोकित रूप से सज-धजकर,विश्व में ज्योति के साथ खड़ी। शब्द-शब्द रस हैं घोले,स्वर, छंद, दोहे, सोरठेगुणगान देखे,कहानी-निबंध-उपन्यास…

Comments Off on गौरवान्वित ‘हिन्दी’

चमेली और बेला की महक

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* चमेली, बेला है रात की रानी,महक है इनकी बड़ी सुहानी। घर-घर होती फूलों की क्यारी,चमेली, बेला की महक निराली। फैली हैं खुशबू महका है आँगन,बेला, चमेली…

Comments Off on चमेली और बेला की महक

क्या यही रिश्तों का सार ?

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ टूट रही है आशाएं,मिट रहा है विश्वासपीठ में खंजर घोंप रहे हैं अपने,क्या यही रिश्तों का सार है…? सात वचन के वह फेरे,सात दिन भी…

Comments Off on क्या यही रिश्तों का सार ?

मेरी आरज़ू

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* बस यही मेरी आरज़ू है,यही है मेरी प्रार्थनाअमन-चैन हो देश में मेरे,सदभाव की हो भावना। हरी-भरी हो धरती अपनी,चेहरे पर सबके मुस्कान रहेलहर-लहर लहराए तिरंगा,मान देश का…

Comments Off on मेरी आरज़ू

खिला है मोगरा

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* धुंध गंध फैला मकरंद कहाँ खिला है ये वनचरा,अपने ही छंद बन आनंदकंद खिला है मोगराउंडेल कर सुगंध हवा जो मंद उत्तान खिला है मोगरा,पसरा मकरंद…

Comments Off on खिला है मोगरा

गंगा के पार

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** चाहता था उद्धार, पहुँचा हरिद्वार,वेग माँ का प्रचंड था तेज गंग धारबचपन से इच्छा थी पहुँचूँ हरिद्वार,किया गंगा में स्नान, तीव्र थी जलधार। धीरे ही…

Comments Off on गंगा के पार