कहानियों में स्थानीय बोलियों का उपयोग किया जाना चाहिए- डॉ. श्रीवास्तव
भोपाल(मप्र)। गद्य प्रवाह मंच पर विलुप्त प्राय विधाओं जैसे डायरी, रिपोर्ताज, और रेखाचित्र आदि पर भी कार्यशाला की तरह कार्य किया जाना चाहिए।कहानियों में सिर्फ सामाजिक दर्पण ही नहीं दिखाए…