दुखों को तुम याद करो ना…

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* मधुर क्षणों की मीठी यादें, साथ सदा तुम रखना।दुखों को अब तुम याद करो ना, आँखें नम न करना॥ रात चाँदनी खिलती है, आसमान पर…

Comments Off on दुखों को तुम याद करो ना…

जय-जय प्रयाग नगरी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ जय-जय प्रयाग नगरी महान।तेरी सुन्दर छवि पर दिखता,सारी दुनिया का है रुझान॥ तू तपोभूमि ऋषि-मुनियों की,तू जननी अद्भुत गुनियों की।तू कला तीर्थ ओ तीर्थ कला,वैभव न कहीं तेरे…

Comments Off on जय-जय प्रयाग नगरी

पावन प्रयागराज में है कुम्भ का मेला

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ शीतल सुखद समीरण, शुभ माघ की बेला।पावन प्रयागराज में है कुम्भ का मेला॥ प्रात: से गूँजती यहाँ, वेदों की ऋचाएं,दिन में सुनाई पड़तीं हैं, संतों की कथाएं।संध्या में…

Comments Off on पावन प्रयागराज में है कुम्भ का मेला

सृष्टि रच रही असर…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* शाख हिले पवन से,फूल-कली झूलते।बिन दिखे पवन चले,पौध मगन खेलते।खार रहे शाख पर,फूल को मिले शिखर।सीखती न ज़िंदगी,सृष्टि रच रही असर॥ वक्त यहाॅं साथ में,जन्म…

Comments Off on सृष्टि रच रही असर…

हर्षित हो जाता तन-मन

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* हर्षित हो जाता है, तन-मन नई फसल जब आती है।ढोल-ढमाके झांझ-मंजीरा, की धुन मन को भाती है॥ श्रम कर-करके फसल उगाई, तब हरियाली छाई है,लाख…

Comments Off on हर्षित हो जाता तन-मन

‘प्रेम’ व्यापार नहीं

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* प्रेम कोई व्यापार नहीं है, अन्तर्मन का भावामृत है।निर्मल शीतल गुंजित हियतल, आँखों में भाव सृजित है। तन मन धन अर्पण जीवन पल, नव…

Comments Off on ‘प्रेम’ व्यापार नहीं

सपनों-सा बचपन बीता

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* सपनों-सा बचपन बीता, चली गई नानी की कहानी।अब बहुत बड़ी हो गई, जिसे कहते थे गुड़िया रानी॥ मधुरिम यादें आती है अब, मुझको ए बचपन…

Comments Off on सपनों-सा बचपन बीता

देता सीख गुलाब

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************* रचना शिल्प-दोहा आधारित... रंग न उड़ने दो कभी, रखो बनाकर आब।जीवन होता मखमली, जैसे फूल गुलाब॥ डाली लगा सुगंध दे, तोड़ो तो गल जाय।देता सीख जुड़े रहो,…

Comments Off on देता सीख गुलाब

ऋतुराज पधारो

मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव... आओ जी ऋतुराज पधारो।मौसम के सरताज पधारो॥ तुझसे मिलने को है आतुर,कुदरत के यह सभी नजारें।महकी-महकी आज वादियाँ,सरसों…

Comments Off on ऋतुराज पधारो

आस्था अवश्य, अंधराह मत गहना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सँग विवेक पूजन-वंदन हो, इसी समझ में रहना।आस्था रखो अवश्य बंधुवर, अंधराह मत गहना॥ ईश्वर देखे श्रद्धा-भक्ति, नहीं रूढ़ियाँ मानो,विश्वासों में ताप असीमित, पर धोखा पहचानो।ढोंगों-पाखंडों…

Comments Off on आस्था अवश्य, अंधराह मत गहना