धरती की सन्तान
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************** धरती की संतान सभी हैं,मिलजुल हाथ बंटाना है।नेक कर्म अपना ले प्राणी,जग में नाम कमाना है॥ बढ़ता चल इस जीवन पथ पर,रुकना नहीं निराशा में।निश्छल बहती सरिता जैसी,चलना लेकर आशा में॥दीन-दुखी गर राह मिलेंगे,संग उसे भी लाना है।धरती की संतान… हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,सब में भाईचारा हो।धरती की क्यारी लहराएँ,उपवन … Read more