हे! गिरिधर गोपाल
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जन्माष्टमी विशेष…. हे! गिरिधारी नंदलाल,तुम कलियुग में आ जाओ।सत्य,न्याय रो रहे आज तो,नवजीवन दे जाओ॥ जीवन तो अभिशाप हो रहा,बढ़ता नित संताप है।अधरम का तो राज हो गया,विहँस रहा अब पाप है॥गायों,ग्वालों,नदियों,गिरि की,रौनक फिर लौटाओ,सत्य,न्याय रो रहे आज तो,नवजीवन दे जाओ…॥ अंधकार की बन आई है,है अंधों की महफिल।फेंक रहा नित … Read more