बनें इन्सान
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचनाशिल्प:१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ बनें इन्सान हम सब तो, सजेगी देन दाता की।भले इन्सान बनकर ही, मिलेगी देन दाता की॥ सुहानी सृष्टि रचना में,…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचनाशिल्प:१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ बनें इन्सान हम सब तो, सजेगी देन दाता की।भले इन्सान बनकर ही, मिलेगी देन दाता की॥ सुहानी सृष्टि रचना में,…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:१६-१२= २८ मात्रा कुल नभ में घिरी घटाएँ काली अब सावन है आया।रिमझिम बारिश की बूँदों ने तन-मन है हर्षाया॥ जब भी गिरे झमाझम पानी सरगम-सी…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* औघड़दानी,हे त्रिपुरारी!, तुम प्रामाणिक स्वमेव।पशुपति हो तुम,करुणा मूरत, हे देवों! के देव॥ तुम फलदायी,सबके स्वामी,तुम हो दयानिधानजीवन महके हर पल मेरा,दो ऐसा वरदान।आदिपुरुष तुम,पूरणकर्ता, शिव,शंकर…
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* भीगी पलकें सुना रही है,एक अनकही मौन कहानी।आँखों में शबनम की बूँदें,लगती प्यारी देख सुहानी॥ सपनों का अंबार लगा है,चैन नहीं मिलता है इनको।खोई रहती…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** दुर्दीन पीड़ अवसादित मन,दुर्गम राहें बढ़ पायी हैं।जो धीर-वीर संयम साहस,द्रौपदी सबल बन पायी हैं॥ अछूत वर्ग आदिवासी कुल,कुलदीप बनी मुस्कायी है।संघर्ष मूर्ति बाधक…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* घन श्याम अजिर में बरस रहे, सखि री! घनश्याम नहीं आए।अम्बर में शम्बर गरज रहे, चपला चमके जी घबराए॥ दूरी को सहना है मुश्किल,खो गए…
संजय गुप्ता ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रा भार-१५ सृजन का नशा निराला है,शब्दों में इसे ढाला है।समझ सको तो तुम समझ लो,नहीं तो अक्षर काला है॥ प्रश्न करूं जब मैं वक्त से,कलम…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** सूने महल अटारी सूनी, मन का आँगन सूना है।तुम तो हो परदेस पिया जी, मेरा सावन सूना है॥ जबसे तुम परदेस सिधारे, मन को चैन नहीं…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ सावन आ चुका, बरसात अभी आई नहीं।नभ में नाद लिये गीतों की बरसात अभी आई नहीं॥ क्या करें मेघ हठी चाँद निकल आता है,घटा पनिहारिनी का रंग बदल…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* करम के भरोसे रहता बेकार,मन जीवन के कर्म सजा ले।कर ले भव को पार॥ तन की काया, मन की माया,सब जाएंगे छूट।हाथ पसारे जाना…