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कभी न झुकने देंगे इसको

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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अपना सम्मान तिरंगा….

भारत की पहचान तिरंगा,
माँ भारत की आन तिरंगा।
कभी न झुकने देंगे इसको,
है अपना सम्मान तिरंगा॥

ये है भारत देश हमारा,
प्राणों से भी हमको प्यारा।
इसका नहीं है कोई सानी
है सारी दुनिया से न्यारा॥

उत्तर में है खड़ा हिमाला,
गिरि श्रंखलाएँ बनी मेखला।
दक्षिण सागर चरण पखारे,
पावन बहे गंग के धारे॥

सदा गगन में लहराएगा,
प्रेम सुधा रस बरसाएगा।
है किरीट ये कंचन जंगा,
है सबका अभिमान तिरंगा॥

तीन रंग से सजने वाला,
सबका मन सरसाने वाला।
इसकी खातिर जान लुटा दे,
भारत का हर जन मतवाला॥

वन्दे मातरम गीत सुना दो,
हर छत पर इसको फहरा दो।
जब तक बहती पावन गंगा,
अमर रहेगा सदा तिरंगा।

हर जन की है जान तिरंगा,
भारत का है प्राण तिरंगा।
देश का स्वाभिमान तिरंगा
जन गण मन का गान तिरंगा॥

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है

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