मोल कभी जान पाए नहीं

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************* मोल सैनिक कभी जान पाये नहीं,फौज के नाम पर लग रहा है दड़ा।जीतकर युद्ध भी हम झुके हैं सदा,प्रश्न है ये बड़ा,प्रश्न है ये बड़ा ???…

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किसी के प्यार ने…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** किसी के प्यार ने इस जिन्दगी का रुख ऐसे बदला।अगर वो आप हैं तो फिर मिले बिन ही कैसे बदला॥किसी के प्यार ने… खुशी…

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दादा-दादी की याद में…

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** दादा-दादी तुम्हें स्मरन करते हैं हम।श्राद्ध पक्ष में आज नमन करते हैं हम॥ खेद मुझे है देख न पाया तुम्हें कभी,आप तो थे पर मैं न…

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मन्नतों के धागे

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* मन्नतों के अनगिनत धागे मैंने बांध दिए…।रात के बाद प्रातः सूरज ने फिर सवाल किए॥ बादलों पर चित्र उकेरे और दिया संदेशा,आयेगा जवाब कोई मन में था…

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हे! बापू तुमने…

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* दोहे लिक्खूँ गाँधी तुझ पर,या रच दूँ मैं गीत।गाँधी बाबा तुम सचमुच थे,जन्मों के मनमीत॥ बिलख रही जब भारत माता,तुमने फर्ज़ निभाया।मार फिरंगी को लाठी…

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अजर-अमर विभूति

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ दो अक्टूबर लाया भू पर,दो विभूतियां अजर-अमर।गूंजे नभ भूतल दोनों के,मिल कर विजय घोष के स्वर॥ किसके थे अवतार उभय गुरु,हमको अब भी ग्यात नहींकिन्तु अभी तक इस…

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लावारिस

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************* मैं हूँ लावारिस क्या मेरा,पैदा होना या मर जाना।सड़कों पर जीवन बीतेगा,ना मुझे किसी के घर जाना॥ नहीं कोई ऋतु वसंत यहाँ,सर पर है नभ की…

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अद्भुत समर्पण

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ धरती के भीतर से देख लिया प्रस्तर ने,छिप कर झरोखे से मेरा मृदु आननरंग को निखार वह,रूप को सँवार सखी,आया द्रुत सम्मुख बन मेरा लघु दर्पण। मैंने तो…

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है गर्व हमें

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** भारत की आत्मा ‘हिंदी’ व हमारी दिनचर्या…. भारत की आत्मा है हिन्दी,व हमारी दिनचर्या भी यही,…………………है गर्व हमें।………………………. जन्मे भारत की माटी पर,भाषा सबसे…

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अपने

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** भुला कर बैर सबका साथ में रहना जरूरी है,कहा है सच बुजुर्गों ने जुड़े रहना जरूरी है।जो पत्ता डाल से टूटे वो जोड़ा नहीं सकता,उजाला घर…

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