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धुंध छायी हर तरफ

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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विश्व में छाने लगीं अब युद्ध की तैयारियां।
धुंध छायी हर तरफ रोने लगी किलकारियां॥

बाज लोहे के दिखाते पैंतरे आकाश में,
आग तोपों से निकलती युद्ध के अभ्यास में।
और धरती पर उगीं बारूद की फुलवारियां,
विश्व में छाने लगीं…॥

खींच कर भागे फिरंगी लीक दो-दो युद्ध की,
हो रही दूषित धरा नानक गुरू औ बुद्ध की।
मैकमोहन मांगती है फिर लहू की धारियां,
विश्व में छाने लगीं…॥

देश में कुछ लाश हैं कुछ आदमी भी रह रहे,
फौज की कुर्बानियों को राजनीतिक कह रहे।
पाक के कुछ लाड़ले कुछ चीन की पनिहारियां,
विश्व में छाने लगीं…॥

हर तरफ चर्चा छिड़ी है धर्म के उन्माद की,
मज़हबी फसलें उगी हैं पाक के उत्पाद की।
जातियों में पल रहीं है नफरतों की क्यारियां,
विश्व में छाने लगीं…॥

रूस अमरीका लगे हैं हाथ अपने खींचने,
तालिबानी आ गये धरती लहू से सींचने।
आग पानी में लगाती हैं यही अय्यारियां,
विश्व में छाने लगीं…॥

पेड़ मानव सभ्यता का नष्ट खुद करने लगे,
मज़हबी आडंबरों की नींव खुद धरने लगे।
मूल ‘हलधर’ काटती नैतिक पतन की आरियां,
विश्व में छाने लगीं अब युद्ध की तैयारियां…॥

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