मानव हूँ

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मैं मानव हूँ स्वार्थ धरें नित,करता काम।कभी न सोचूँ अहित काज का,निज अंजाम॥ लोभ मोह में फँसता जाता,मैं अज्ञान,दीन-दुखी को बहुत सताया,बन अनजान।पीछे मुड़कर पीर न देखी,बढ़ता नाम,मैं मानव हूँ स्वार्थ धरें नित,करता काम…॥ चले नहीं जोर अमीरों पर,डरता खूब,लख गरीब कर्जे में अक्सर,जाते डूब।नहीं आंकलन किया स्वेद का,देता दाम,मैं मानव … Read more

अधर धरो घनश्याम…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम।घनश्याम…घनश्याम…बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम॥ जब फेरोगे कोमल कर तुम,सुर दूँगी अविराम…अधर धरो घनश्याम।बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम…॥ देखूँगी मोहक सूरत को,मोहन आठूँ याम…अधर धरो घनश्याम।बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम…॥ साथ-साथ जायें वृंदावन,साथ-साथ विश्राम…अधर धरो घनश्याम…।बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम…॥ यमुना तट जब धेनु चरावें,लोगे कर में थाम…अधर … Read more

कुलबुलाहट

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************** कोरोना ने उजाड़ दिया है चमन।क्या से क्या हो गया है मेरा वतन॥ रिश्ते सारे बिखर गए,अपने दूर हुए,मेल-मिलाप ख़त्म हुआ,सब मजबूर हुए।ऐसा चलेगा कब तक,यही सोच घबराहट है,सच में,दिल में यही एक कुलबुलाहट है॥ विद्या मंदिर सुनसान पड़े हैं,सब मोबाइल,लैपटॉप के सामने अड़े हैं।पुस्तकालय सारे कर रहे हैं विलाप,सुख-दुख … Read more

सीख बाँटता तू अज्ञान

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* स्वार्थ बसाकर सीख बाँटता,तू अज्ञान।द्वेष कपट रखकर कहता है,तू भगवान॥ दीन दुखी को बहुत सताया,करके लूट,बुरे कर्म पर चलने की क्या,तुझको छूट। गर नहिं सँभला तो पहुँचेगा,तू शमशान,स्वार्थ बसाकर सीख बाँटता,तू अज्ञान…॥ राजनीति में सत्ता पाकर,भूला हाल,लोभ मोह में कष्ट बाँटता,तेरी चाल। पीर देखकर मुख मोड़े है,बन अनजान,स्वार्थ बसाकर सीख बाँटता,तू … Read more

करुण कहानी…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** जिसके बल से भवन निराले,जिसके बल से है खाना।जिसके स्वेद कणों के बल पर,पर अधरों पर हो गाना॥ जिसका तप ही बंजर भू पर,लाता है नित हरियाली।जिसका श्रम ही तो हम सबके,जीवन का भी है माली॥ कभी न मिल पाती रोटी तो,कभी न मिलता पानी है।मजदूरों की सदा-सदा से,बस ये करुण कहानी … Read more

परिवार छॉंव है बरगद की

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… परिवार छॉंव है बरगद की,सुख सपनों के डेरे हैं।ये घोर निशा में दीपक है,पावन मधुर सबेरे हैं। घर-आँगन तुलसी महके,उलझे रिश्तों को सुलझाता है,लाख मुश्किलें आने पर,परिवार धीर बंधाता है।ममता की छाया मिले,मिट जाये घोर अंधेरे हैं,परिवार छॉंव है… हर दिन खुशियों वाला होता,रोज मनती दिवाली है,रात हुई उम्मीदों … Read more

नहीं दु:ख की घड़ी रहती

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… रचनाशिल्प:१२२२ १२२२ १२२२ १२२२मुहब्बत से सजा रहता जो घर-परिवार जीवन का,उसी में हर खुशी रहती।नहीं दु:ख की घड़ी रहती। पिता,माता,बहन,भाई,सभी रहते हैं मिल-जुल के,यहीं तो हर खुशी रहती।नहीं दु:ख की घड़ी रहती,मुहब्बत से सजा रहता…॥ दरो-दीवार में कितनी मुहब्बत की महक रहती,बड़े-छोटे सभी रहते,खुशी की हर … Read more

जीवन

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:चौपाई आधारित १६-१६ मात्रा तू ही जग का भाग्य विधाता।जीवन की रक्षा कर दाता॥ तेरी महिमा अनंत भगवन।तू ही छिपा हुआ अंतर्मन॥आज हरो दु:ख जग संजाता।जीवन की रक्षा कर दाता॥ दयावान तू ही है कर्ता।तू ही धर्ता तू ही भर्ता॥करुणामय तू ही निर्माता।जीवन की रक्षा कर दाता॥ तू निर्मोही निर्विकार तू।सखा … Read more

परिजन से ही ‘विजयश्री’

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… कितना पावन,सुखद-सुहावन,मेरा घर-परिवार है।हिम्मत,ताक़त और हौंसला मेरा संसार है॥ सुख-दुख के साथी परिजन हैं,मिलकर बढ़ते जातेहर मुश्किल,बाधा,पीड़ा से,मिलकर लड़ते जाते हैं।मात-पिता,बहना-भाई से,खुशियों का आसार है,कितना पावन,सुखद-सुहावन,मेरा घर-परिवार है॥ हिल-मिलकर हम सारे रहते,प्यार असीमित बहताघर तो है मंदिर के जैसा,आकर ईश्वर रहता।पत्नी,बच्चे बल हैं मेरा,इनसे ही उजियार है,कितना … Read more

कर्तव्य

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** कर्तव्य पथ पर चल पड़ा जो,आँधियों से कब डरा है।पथ में असीमित शैल होंगे,उर सदा माधव भरा है॥ मधु हास भरकर बाँह अपनी,मंजिलें नित खोलती हैं।शूलों हटो तुम राह से ये,पाँखुड़ी ही बोलती हैं॥ यूँ देख उसके साहसों को,यामिनी छुपती विभा में।उसकी विजय के गीत बजते,सदा गुणियों की सभा में॥ पराभव ने … Read more