हे प्रकृति महाकवि

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:कुल ३२ मात्राएं,१०-८-८-६ मात्रा पर यति। प्रत्येक पंक्ति के दो चरण विकल्प से समतुकांत तथा २-२ पंक्ति सम तुकांत। हे प्रकृति महाकवि,जन्मभूमि रवि,तुम पहाड़ के,गुरुवर हो।तुम महान ज्ञानी,सुरमय दानी,हिमालयी सुत,कविवर हो॥ है सुरम्य धरणी,माता जननी,जिनकी पावन,कविता है।लिख नारी महिमा,माँ की गरिमा,उज्जवल निर्मल,सविता है॥ हो इसी प्रकृति के,मोहक मन के,तुम्ही पंत जी,उद्गाता।हो … Read more

सबसे न्यारा परिवार

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… सबसे न्यारा सबसे प्यारा,मेरा यह परिवार।मंदिर जैसा पावन सुन्दर,लगता है घर द्वार॥ मातु-पिता की छाया हम पर,अरु मिलता है साथ।ये तो हैं भगवान बराबर,सर पर रखते हाथ॥दु:ख का साया कभी न पड़ता,सुखमय-सा संसार।सबसे न्यारा सबसे प्यारा… घर में पत्नी लक्ष्मी जैसी,रिश्तों की पहचान।पूजा सबकी करती है वो,कभी … Read more

सुख रहे घर-परिवार से

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… साथ घर-परिवार के रह सर्वदा।पीर होती,काम आते हैं सदा। सत्य ही तो एक बस आधार है।प्रेम बसता है जहाँ परिवार है॥ आस है विश्वास सुंदर है यहाँ।स्वर्ग से बढ़कर खुशी बसता जहाँ। दु:ख कहीं तो सुख जहाँ मिलकर सहे।एकता समभाव की धारा बहे॥ मातु का आशीष तो वरदान … Read more

घर-परिवार से मिलती इक पहचान

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… रचना शिल्प-१३/१३सबको जीवन में खुशी,देता घर-परिवार है।बिन इसके मिलता नहीं,सपनों को आकार है॥ रहता जो परिवार में,वह पाता संस्कार है।मिट जाते दु:ख-दर्द भी,मिलता सबको प्यार है॥ माँ की ममता हो जहाँ,बाबा की फटकार हो।बच्चों की शैतानियाँ,ऐसा घर-परिवार हो॥ खुशियाँ हो हर एक दिन,दीवाली हर रात हो।साथ रहें माता-पिता,सबके … Read more

मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े

बोधन राम निषाद राज ‘विनायक’कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े हैं,मदिरालय गरमाया है।रिश्ते-नाते टूट रहे हैं,कैसा दिन अब आया है॥ आज अकेला हर मानव है,जाने क्या होने वाला।गम की चिंता दूर हटाने,खुली हुई है मधुशाला॥लीला है ये महाप्रलय की,अद्भुत हरि की माया है।मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े हैं,… भटक रहे हैं लोग जहां में,खाने को क्या मिलता है।घर … Read more

अब छोड़ निराशा

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प-१४ मात्रा ३ चौकल + २… हताश निराश बैठा क्यों,कंटक कटेगा धीर’ न खो’जीवन प्रसून खिलने दो,किसलय सुगंधि मिलने दो! बहार आने वाली है,छँटती बदली काली है,हँसते मुखड़े दिखने दो,शुभ-शुभ मुझको लिखने दो! खट्टे-मीठे कडुए पल,आते-जाते रहते कलधरती कीचड़ मिटने दो,बीती बिसार बिकने दो! आओ साथी मिलजुल लें,सोचें अच्छे बिलकुल मेंसच्ची भावना … Read more

माँ करुणा की मूर्ति

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ज्ञानी गंगा है कहे,जिसको जग संसार।निर्मल ममता बाँटती,मातु हृदय का सार॥मातु हृदय का-सार ज्ञान वो,प्रथम सिखाती।देती शिक्षा,सही-गलत की,राह बताती॥‘आशा’ कहती,इस जगती में,बढ़कर दानी।सदा रही है,सदा रहेगी,माँ ही ज्ञानी॥ करुणा की मूरत कहे,जगती का अवतार।निश्छल ममता नित बहे,अनुपम उसका प्यार॥अनुपम उसका-प्यार जगत की,पालनहारी।जन्मदायिनी,इस धरती पर,माँ अवतारी॥‘आशा’ कहती,प्रेम बाँटती,जैसे अरुणा।माँ के आँचल,सदा बसे … Read more

जग के स्वामी कष्ट हरौ

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:३२ मात्रा,१०,८,८,६ पर यति,चरणांत गुरु। हे जग के स्वामी,अंतर्यामी,तेरी अद्भुत,माया है।हे दीनदयाला,भक्त कृपाला,तेरी ही सब,छाया है॥सब जग हितकारी,कष्ट विदारी,नाथ दयानिधि,हे प्रभुजी।जग कष्ट हरो हरि,दीनन सुधि धरि,हे दुख भंजन,हे हरि जी॥ हे प्रियतम प्यारे,सखा हमारे,अब आओ जग,कष्ट हरौ।है आज दुखी जग,रोग रहा ठग,सब आतुर तव,चरण परौ॥तू अंतर्यामी,सबका स्वामी,बड़ा दयालू,तू प्यारा।तूने जग पाला,नयन … Read more

अब हर लो सारे पापों को

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* यह कैसा कोरोना आया,ले जा रहा इक साथ में,करता है भयभीत सभी को,कुछ न रह जाता हाथ में। मिलना अभी गुनाह हो गया,हाथ मिलाया नहीं गया,कैसा ये मौसम आया है,अब अपना कैद हो गया। अंतिम इच्छा नहीं पूछते,चाहे मिलने की ही हो,दिल पर पत्थर रख लेते हैं,चाहे चाह इक रही हो। यहाँ … Read more

गम छँट जाएँगे

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ सुनों साथियों रखो हौंसला,बादल गम छँट जाएँगे।इक दिन तेरे ही आँगन में,सुख सूरज चमकाएँगे॥ धीरज मन में धारण करके,कार्य हमें सब करना है।मौत कभी क्या कर पायेगी,हमें नहीं अब डरना है॥संकट कुछ दिन के साथी हैं,आये हैं वे जाएँगे।सुनों साथियों रखो हौंसला… विकट समस्या आन पड़ी है,सबको इसको सहना है।चिंताओं … Read more