पूजे गणतंत्र सर्व

पायल अग्रवालमुजफ्फरपुर (बिहार)******************************* भारत का संविधान, करते हम आज मान, बनता है देश शान, न्याय सभी पाते।लाल किले साज बोल, सबके दु:ख गांठ, खोल, भारतीय मान मोल, राष्ट्रगान गाते॥ देख…

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है जहर बाल विवाह

पायल अग्रवालमुजफ्फरपुर (बिहार)******************************* है जहर बाल विवाह,कैसे हो अब निबाह,भरते सब दर्द आह,सत्य कथन जानो।सुन बेटी की पुकार,करती तुमसे गुहार,गलती करना सुधार,बात सभी मानो॥ बढ़ता है भूमि ताप,क्यों करते आज…

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नव शुरुआत करें

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* नया उजाला-नए सपने... रचनाशिल्प:मापनी-१२२ २२२ २२२ २२१ १२ यगण मगण, मगण तगण लघु गुरु (लगा) पुरानी यादों में,गाएंगे संगीत नया।तराना छेड़ेंगे,आया है ये वर्ष नया॥ खिलें…

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दिव्य दिवाकर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* दिव्य दिवाकर,नाथ प्रभाकर, देव आपको, नमन करूँ।धूप-ताप तुम,नित्य जाप तुम,करुणाकर हे!, तुम्हें वरूँ॥नियमित फेरे,पालक मेरे,उजियारा दो, पीर हरो।दर्द लड़ रहा,पाप अड़ रहा,नेह करो हे!, शक्ति भरो॥…

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राह दिखाती गीता

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचनाशिल्प:मापनी-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ विधाता का बड़ा अद्भुत सुसर्जन कार्य है गीता।जगत को राह दिखलाती हमें ये मात सुपुनीता॥दिया था ज्ञान अर्जुन को मनोहर कृष्ण गोविंदा।भजा…

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मानवता मरती

पायल अग्रवालमुजफ्फरपुर (बिहार) ******************************* कब तक अबला बनती श्रद्धा, टुकड़े में कटती।जाग-जाग सोये अब तुम सब, मानवता मरती॥ तोड़े विश्वास प्यार पल में, क्या तुमको मिलता।शोभा होती तेरे घर की,…

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मानव बनो

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मानव बनो, संसार है।करुणा रखो, अभिसार है॥सजाओ पथ, अब नीति हो।बनाओ मन, अब प्रीति हो॥ धर्म साधो, जो सार है।कर्म मानो, जो प्यार है॥मर्म जानो, उपहार…

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मन से मन जोड़ें

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रिक छंद, त्रिपद=१२-१०-१२;प्रथम, तृतीय=समतुकांत सब भेद-भाव छोड़ें,देंखें कोशिश करमन से मन को जोड़ें। न काम करिए ऐसा,मिल जाये न कहींजैसे को भी तैसा। अनपढ़ भाषण देता,जब…

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जीवन-संदेश

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सँवरो आज, संचार है।जप लो ईश, सिन्गार है॥कर लो काम, तब बात हो।कुछ हो वाह, सौगात हो॥ दुर्लभ जनम, अब तू बचा।पाया जनम, सुख को रचा॥सोच…

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द्वंद में मन

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचनाशिल्प २१२२ २१२२ २१२२ २... वह पथिक क्यों है व्यथित तर ओस से भीगा,यामिनी से कर रहा अठखेलियाँ धींगा।हो रहा उर्वर मृदा मन कुछ तो बोया है,अंकुरित…

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