समझदार नित मानते

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जब भी खोलो लब सुनो, तोल-मोल के बोल।वरना तू खामोश रह, लब किंचित मत खोल॥ तोल-मोल के बोल तू, तभी मिलेगा मान।वरना घटना तय रहा, तेरी सारी शान॥ तोल-मोल के बोलना, मानो बड़ा विवेक।जो हमको करता सदा, मानव नेहिल, नेक॥ कितनी हितकर बात है, कितनी है अनमोल।मानो, समझो, जान लो, तोल-मोल … Read more

मोक्ष चाह मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मोक्ष मिले यह चाह मन, होती है संसार।मृगतृष्णा में फँसा मन, कैसे होगा पार॥ सत्य मुक्त जन आचरण, पद सत्ता धन लोभ।भूले अपने ईश को, कहाँ मोक्ष बस भोग॥ लोभ मोह मद क्रोध खल, छल बल कपट विचार।भूले भोलेनाथ को, कहाँ मोक्ष का द्वार॥ हिंसा दंगा नफ़रतों, पल-पल जीते … Read more

कठिन पहेली ज़िंदगी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कठिन पहेली जीवनी, समझे संत सुजान।तन मन धन अर्पित वतन, परहित श्रम यश मान॥ कठिन डगर मुश्किल सुपथ, साथ रहे पुरुषार्थ।बने लक्ष्य जनहित वतन, पालन हो धर्मार्थ॥ निर्णेता नित परिश्रम, मानव की पहचान।कहाँ आलसी सिद्धि पथ, देशभक्ति सम्मान॥ पल-पल जीवन समर्पित, राष्ट्र धर्म उत्थान।रखें आस्था कर्म में, बढ़े धीर … Read more

पग-पग चुनौती ज़िंदगी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* समझ चुनौती जिंदगी, है सुख-दु:ख संयोग।सफल वही संसार में, लोभ मोह तज भोग॥ लखि बलिदानी पूत को, भारत माँ हूंकार।शंखनाद कुरुक्षेत्र में, करो पाक संहार॥ उठा भीम फिर से गदा, संकट में है देश।पार्थ चढ़ा गांडीव शर, दे दुश्मन संदेश॥ फिर छायी काली निशा, घूम रहा आतंक।जाग घटोत्कच तुम … Read more

राष्ट्र धर्म आसक्ति

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* शील त्याग गुण कर्म पथ, नीति न्याय अनुरक्ति।वही लोक योगी बने, राष्ट्र धर्म आसक्ति॥ भौतिक सुख आसक्ति मन, सत्ता पद गुमराह।मानवता मतलब कहाँ, सुरसा मुख है चाह॥ अमृत उत्सव देश में, आज़ादी की याद।भूख प्यास की आग में, जली बाल बुनियाद॥ बीते छीयत्तर बरस, आजादी संघर्ष।परम वीर कुर्बानियाँ, लोकतंत्र … Read more

मधुमास खुशहाली लाया

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मधुर मत्त मन माधवी, आया है मधुमास।खुशहाली लायी प्रकृति, यौवन कलसी हास॥ पीत वसन परिधान में, वसुन्धरा तनु आज।बहकी कलसी दिल प्रिया, प्रिय वसन्त आगाज़॥ नव बसन्त मधुरिम छटा, हर्षित हिय मधुमास।प्रीत युगल अनुराग मन, पीली कलसी पास॥ लाली गाल गुलाब सम, कुसुमित अधर पलास।सुरभित तनु गुलडाउदी, लाजवाब मुखहास॥ … Read more

अन्तर मन इतरा गया

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव… तन के पत्ते हो गए, हरियर आज अनन्त।अन्तर मन इतरा गया, बाहर देख बसन्त॥ यौवन घट की कामना, महकी हुई बयार।तन के तट को भा गया, फूलों का त्यौहार॥ कोयल बोले बाग़ में, महकी, महुआ गन्ध।मन की कुंडी खुल गई, पात-पात अनुबंध॥ … Read more

रेवा मैया रखना सबकी आन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नर्मदा जयंती (४ फरवरी) विशेष… रेवा मैया नर्मदा, है तेरा यशगान।तू है शुभ, मंगलमयी, रखना सबकी आन॥ शैलसुता, तू शिवसुता, तू है दयानिधान।सतत् प्रवाहित हो रही, तू तो है भगवान॥ जीवनरेखा नर्मदा, करती है कल्याण।रोग,शोक,संताप को, मारे तीखे बाण॥ दर्शन भर से मोक्ष है, तेरा बहुत प्रताप।तू कल्याणी,वेग को,कौन सकेगा माप॥ … Read more

शारदे बरसो

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव… शुक्लपक्ष दिन पञ्चमी, वासंती मधुमास।सरस्वती पूजन सविधि, अरुणिम ज्ञान प्रभास॥ करो कृपा माँ शारदे, मिटा त्रिविध मन पाप।सदाचार जीवन चरित, हरो मोह मद ताप॥ हंसवाहिनी ज्ञानदा, श्वेताम्बुज शुभ वेद।वसन्त पंचमी साधना, करें असुर नर देव॥ बनो ज्ञान रक्षा कवच, समर कुमति … Read more

तृष्णा है तिमिर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* तृष्णा है ऐसा तिमिर, लिप्त अंध इन्सान।शील त्याग सत्कर्म तज, सहता नित अपमान॥ अति तृष्णा मद क्रोध से, भटक रहा इन्सान।चलें झूठ छल कपट पथ, हिंसक जग शैतान॥ तृष्णा कलियुग महाबली, सत्य न्याय आचार।पतन नहुष सम हो विकट, कामुक मन लाचार॥ काम क्रोध मद लालची, सब अनीति बन नीति।अपनापन … Read more