उठा सुदर्शन चक्र फिर
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************** यायावर समझो सरित,तीर जलधि हो दूर।प्रवहमान सत कर्मपथ,कभी न हो मज़बूर॥ पारस मणि है आत्मबल,पाञ्चजन्य है धीर।साहस है रक्षा कवच,जीवन रण गंभीर॥ शरशय्या पर…