अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस विशेष…..
रिश्ते-नाते जिंदगी, खूब रखो जी प्यार।
थोड़ा गम खा लो जरा, नहीं रोज तकरार॥
मत तोड़ो परिवार को, मत बदलो मन भाव।
प्रेम रखो सबके हृदय, खुद से ना अलगाव॥
नहीं कलंकित खून स्व, ना भूलो संस्कार।
काँटे को मत बोइए, सुन्दर हो परिवार॥
रहिए सबसे बीच में, ना छोड़ो परिवार।
डाली से शोभा रहे, रहे सभी संसार॥
छोड़ दिया परिवार गर, होना नहीं उदास।
मान नहीं होता कभी, छूट अकेले आस॥
सावधान दुश्मन जरा, जो बांटे परिवार।
समझो तुम इस बात को, रहना दूरी यार॥
घर की सूखी रोट भी, खा परिवार उमंग।
उसी भरोसे आदमी, जाता लड़ इक जंग॥
बाग न सूखे प्रेम का, रखो खूब तुम स्नेह।
रिश्तें हो विश्वास से, कैसे बरसे नेह॥
हर रिश्ता है फूल-सा, महका लें हम खार।
प्यार भरोसे जिंदगी, जरा बचा ले यार॥
रहो कलह से बाँचते, मत तोड़ो परिवार।
हँसो पड़ोसी से जरा, तोड़ बीच दीवार॥
आँगन को आँगन रखो, ना करना बर्बाद।
मत बांटो खिड़की यहाँ, रहने दो आबाद॥