अनुशासन विजयी जगत

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय **************************************** अनुशासन की नित कमी,लोभ घृणा उत्थान।प्रतीकार में जल रहा,शैतानी हैवान॥ अनुशासन बिन छात्र अब,निर्भय बन परिवार।मानक बस उत्तीर्णता,मनोयोग लाचार॥ आजा़दी मतलब नहीं,अनुशासन अवमान।मोटर गाड़ी अधिनियम,जीवन…

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शिक्षा धन सबसे बड़ा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)***************************************** शिक्षा धन सबसे बड़ा,शिक्षा है अनमोल।शिक्षा से कुछ भी नहीं,और नहीं हैं तोल॥ शिक्षा से संस्कार का,होता आज विकास।शिक्षा से इंसान है,शिक्षा ज्ञान प्रकाश।। सबसे…

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इन्सान और भगवान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* इंसां होना है कठिन,सुन तू ऐ भगवान।देख परेशानी ज़रा,जीना ना आसान॥ इंसां नित ही भोगता,कष्ट,दर्द का शाप।दु:ख के काँटे,वेदना,कौन सकेगा माप॥ इंसां ईश्वर पूजता,सुखी रहे…

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सौभाग्यवती चारु सुभग

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************* सौभाग्यवती चारु सुभग,भारत माँ है आज।जिसपर अर्पित सैन्यबल,जिस पर सबको नाज़॥ माँग सजी माँ भारती,सुत शोणित बलिदान।परचम लहराता वतन,शौर्य कीर्ति अभिमान॥ थर्राये सीमान्त पर,चीनी…

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मुखौटा

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* लगा 'मुखौटा' संत का,घूमे पापी नीच।मिल जाएंगे हर जगह,इस दुनिया के बीच॥ बदल 'मुखौटा' सृष्टि में,करता जो व्यवहार।कभी न पाता मान वह,सहता सभी प्रहार॥ त्याग 'मुखौटा'…

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सरस्वती सुखदे शुभे

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ****************************************** वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष ….. रूप प्रकृति मधु माधवी,किसलय पद्म पराग।सुखद चारु समरस मधुर,वासन्तिक अनुराग॥ पूजन वसन्त पंचमी,हो मंगल शुभकाम।ज्ञान बुद्धि पौरुष सुयश,सारस्वत सुखधाम॥…

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महक उठा है रूप

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ****************************************** दर्पण ने नग़मे रचे,महक उठा है रूप।वन-उपवन को मिल रही,सचमुच मोहक धूप॥ इठलाता यौवन फिरे,काया है भरपूर।लगता नदिया में अभी,आया जैसे पूर॥ उजियारा दिखने लगा,चकाचौंध…

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कालजयी,वो युगपुरुष

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************** कालजयी,वो युगपुरुष,भारत माँ की शान।अटलबिहारी जी हुए,सचमुच गुण की खान॥ जनसेवक थे जो प्रखर,लिए दिव्यता ख़ूब।राजनीति के यज्ञ की,थे जो पावन दूब॥ जिनने संपादित किए,अनगिन…

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मिले प्रतिष्ठा तब वतन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************************* समझो ये चेतावनी,करे जो देश विरोध।भूल प्रतिष्ठा वतन की,बने प्रगति अवरोध॥ शौर्य वीर सीमा वतन,उद्यत नित बलिदान।तजो स्वार्थ द्रोही वतन,करो राष्ट्र सम्मान॥ तभी प्रतिष्ठा…

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ऋणी सदा हम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************* ममता समता मातु है,नित गीता का ज्ञान।दिवस रात्रि माँ है जगत,नवप्रभात वरदान॥ मातु भवानी शारदा,करुणा सिन्धु अपार।अम्ब रूप जग चारुतम,हृदय प्रीत आगार॥ माँ जीवन…

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