बादल

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ काले बादल छा गये,नभ में चारों ओर।घूम रहे पक्षी सभी,बच्चें करते शोर॥ शीतल चलती है हवा,तन-मन भी मुस्काय।बूँद-बूँद बरसे जमीं,मन हर्षित हो जाय॥ सुंदर दिखते बाग हैं,लहराते हैं फूल।बारिश बूँदें देख कर,पत्ते जाते झूल॥ छायी सावन की घटा,आयी है बरसात।सोचे मानव देख कर,कैसे बीते रात॥ सूखे सूखे वृक्ष के,मन … Read more

आत्म मनुज सौन्दर्य ही जीवन उपहार

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** बने सेतु ख़ुशियाँ मनुज,करें प्रकृति सुखसार।खिले सुमन सुरभित वतन,रोपण तरु उपहार॥ आत्म मनुज सौन्दर्य ही,जीवन का उपहार।सुरभि हीन किंशूक कुसुम,बाह्य रूप सुखसार॥ दो दिल का अनुपम मिलन,रचना नव संसार।सुख-दु:ख गम खुशियाँ सकल,है विवाह उपहार॥ सुन्दर तन-बन गुलवदन,सज षोडश श्रंगार।चपला नटखट चातुरी,प्रिय पायल उपहार॥ छह ऋतुओं में प्रकृति सज,विविध रूप … Read more

हमारी संस्कृति

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ***************************************** भारत नित ही विश्वगुरू है,देता सबको ज्ञान।संस्कार भारत के पाते,सबसे ही सम्मान॥ नीति और नैतिकता मोहक,हम सबसे सुंदर,पश्चिम से भारत के बेहतर,कला और विज्ञान। मानवता को हमने जाना,हिंसा को त्यागा,करुणा,दया,सत्य,मर्यादा,सद्कर्मों की आन। पूजा हमने चाल-चलन को,जीना सिखलाया,देह नहीं है रूह की भाषा,नैतिकता का मान। तीज और त्यौहारों से तो,चोखा बना … Read more

सुन लो हे गोपाल

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************** सुन लो हे गोपाल अब,विनती बारम्बार।भवसागर नैया फँसी,आज लगाना पार॥ मनमोहन हे साँवरे,कृपा सिंधु भगवान।आये तेरे द्वार पर,दीन-हीन इंसान॥ मोर पंख मस्तक मुकुट,वैजन्ती गल माल।पीताम्बर काँधा धरे,मुख मुरली गोपाल॥ दधि माखन मुख पर लगे,दौड़े आँगन द्वार।बाल रूप मनमोहना,मोहित सब संसार॥ झुला रही है पालना,माता यशुमति श्याम।साथ रोहिणी की तनय,झूल रहा … Read more

सौहार्द-मानव जीवन का अमृत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. जीवन में सौहार्द हो,तो आता मधुमास।अपनाकर सौहार्द को,मानव बनता ख़ास॥ नित सुहृदित आचार में,है करुणा का रूप।जिससे खिलती चाँदनी,बिखरे उजली धूप॥ सुविचारों से ही सदा,मानव बने उदार।द्वेष,कपट सब दूर हों,तो जीवन जयकार॥ अंतर्मन में नम्रता,अधरों पर मृदु बोल।करता है सौहार्द तो,जीवन को अनमोल॥ रीति,नीति हमसे … Read more

घर-आँगन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** घर-आँगन सुन्दर सजे,मिल-जुल नित सहयोग।त्याग शील पौरुष सुभग,नीति प्रीति बिन रोग॥ खिले कुसुम घर प्रगति के,आँगन भारत देश।सुखद शान्ति सद्भावना,मानवीय परिवेश॥ आँगन तुलसी पूजिता,उपयोगी शुभकाम।तन धन मन सुख सम्पदा,अन्त काल अविराम॥ श्री शोभा तनया सुता,पिता मान पर गेह।करुणा ममता शुचि खुशी,यशो निधि बस नेह॥ घर शोभे नित अंगना,मातु वधू … Read more

बुद्धम् शरणम् गच्छामि

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ****************************************** मानवता की सीख से,जगा दिया संसार।हे गौतम! तुमने दिया,हमको जीवन-सार॥ सामाजिक नवचेतना,का बाँटा उजियार।प्रेम-नेह के दीप से,दूर किया अँधियार॥ कपिलवस्तु के थे कुँवर,किया सभी पर त्याग।ज्ञान-खोज में लग गए,गाया सत् का राग॥ संन्यासी बन तेज का,दिया दिव्य उपहार।बुद्ध ज्ञान के पुंज थे,परम मोक्ष का सार॥ धम्मं शरणम् ले गए,सारे जग … Read more

श्री राधे घनश्याम

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************* देखूँ नित मैं छवि युगल,श्री राधे घनश्याम।मन मंदिर हिय में बसो,कर दो पूरण काम॥ राधा बिन मुरली नहीं,बजे न कोई साज।सूना आँगन प्रेम बिन,आओ हे ब्रजराज॥ भज प्यारे गोविन्द को,मुरलीधर गोपाल।जग के तारणहार वो,मातु यशोदा लाल॥ कंबल औ लाठी लिए,चले विपिन की ओर।ग्वाल सखा के साथ में,दाऊ नंदकिशोर॥ अधरों पर … Read more

रखना उर उम्मीद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ************************************* रखना उर उम्मीद तू,तब पाएगा जीत।अगर निराशा पाल ली,तो हारोगे मीत॥ जीवन इक संघर्ष है,लड़ता जा तू यार।उम्मीदों को ले बना,विजयश्री उपहार॥ उम्मीदें पतवार हैं,कर देती हैं पार।वरना इंसां डूबता,सदा बीच मझधार॥ उम्मीदों से आत्मबल,उम्मीदों से वेग।उम्मीदों से ही मिले,नित खुशियों का नेग॥ उम्मीदें उजियार हैं,परे करें अँधियार।उम्मीदों को थाम … Read more

वाणी

जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** वाणी से पहचान है,वाणी ही व्यवहार।सोच-समझ कर बोलिये,सार सार कर सार॥ वाणी लखे चरित्र से,वाणी लखे विचार।वाणी से ही जीत है,वाणी से ही हार॥ वाणी से झगड़े मिटे,वाणी छैड़े जंग।वाणी से नफरत करे,वाणी से ही रंग॥ वाणी प्रेम बढात है,वाणी फैले द्वेष।वाणी साधारण रखे,वाणी करे विशेष॥ वाणी से ऊंचा बने,वाणी से … Read more