समरसता मुस्कान जग

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************ आज फँसा मँझधार में,सत्य मीत अरु प्रीत।लोभ अनल में जल रहा,समरसता संगीत॥ मिशन था अंबेडकर,समरसता संदेश।समता ही स्वाधीनता,दलित हरित उपवेश॥ तार-तार अनुबन्ध अब,क्षत-विक्षत ईमान।नश्वर…

0 Comments

बदलता समय और दिनचर्या

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************** 'कोरोना' महामारी का कहर चीन के काले कारनामों से फलित हो धीरे-धीरे समस्त विश्व को अपने आगोश में करीब डेढ़ बर्ष से समेटे आ…

0 Comments

संग्रह का निहित स्वार्थ छोड़ना होगा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************** आज संसार में मानवीय मृगतृष्णा सागरवत मुखाकृति को अनवरत धारण करती जा रही है। एतदर्थ मनुष्य साम,दाम,दंड,भेद,छल,प्रपंच, धोखा,झूठ,ईर्ष्या,द्वेष,लूट,घूस,दंगा,हिंसा,घृणा और दुष्कर्म आदि सभी भौतिक सुखार्थ…

0 Comments

माँ! सादर शत्-शत् नमन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************** माँ! सादर शत्-शत् नमन,मातृशक्ति अभिराम।ममता करुणा प्रेम रस,नीर क्षीर सुखधाम॥ माँ अम्बे जगदम्बिके,जननी जीवन छाँव।नेह नीर नयनाश्रु से,हरती जीवन घाव॥ माँ जीवन नव अरुणिमा,पा…

0 Comments

बचपन

डॉ. जानकी झाकटक(ओडिशा)************************ बचपन की नादानियां,दोस्तों संग बदमाशियांछिप-छिप कर भाई-बहनों संग,घर पर होती शैतानियां।न किसी बात की फिक्र,न किसी बात का गमपलक झपकते सब मिल जाता,दादा-दादी के प्यार से मन…

0 Comments

सामाजिक दर्पण मैं पुस्तक हूँ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************** विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… ज्ञान का वैभव समेटे अन्तस्थल में,सृष्टि के आरब्ध से वर्तमान तकअबाध अनवरत यायावर,बन अतीत का आईना शाश्वत,चिरन्तनपारदर्शी निर्मल जीवन…

0 Comments

ऋणी सदा हम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************* ममता समता मातु है,नित गीता का ज्ञान।दिवस रात्रि माँ है जगत,नवप्रभात वरदान॥ मातु भवानी शारदा,करुणा सिन्धु अपार।अम्ब रूप जग चारुतम,हृदय प्रीत आगार॥ माँ जीवन…

0 Comments

दिल में छिपा दूँ

डॉ. जानकी झाकटक(ओडिशा) ************************ रिश्ता यह अनमोल है,प्यार पर अपने हमें गुरूर हैजान से भी ज्यादा हम चाहें उन्हें,कुर्बां उन पर ये जहां है। न आँसू उनके कभी आने पाए,न…

0 Comments

ख्वाहिश

रेणु झा ‘रेणुका’राँची(झारखंड)************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से एक ख्वाहिश है साजनतेरे दिल में रहना है,तेरे नयनों के दर्पण मेंबनना संवरना है,तुम देखना हो कर बेकरार…जैसे कल ही हुआ…

0 Comments

विश्वास जगे

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ****************************** अब नहीं भरोसा सत्ता पर,नेता विपक्ष या नेता हो।जाति धर्म पर नित बँटे हुए,जनता समाज अभिनेता हो। भागमभाग मचा स्वारथ जग,नित झूठ कपट छल…

0 Comments