बॉस इस आलवेज राइट!

डॉ.शैलेश शुक्लाबेल्लारी (कर्नाटक)**************************************** आजकल ऑफिस में काम करने के लिए केवल डिग्री, कम्प्यूटर और फॉर्मल कपड़े काफी नहीं हैं। जो सबसे ज़रूरी चीज है, वह है-बॉस की चापलूसी। और यह साधारण चापलूसी नहीं, यह है बॉस-स्तुति, प्रशंसा-पुराण, और गुणगान-महाकाव्य। यह वह ब्रह्मास्त्र है, जो सालाना मूल्यांकन रेटिंग, अधिक से अधिक बोनस, जब चाहो तब छुट्टी, … Read more

विकसित भारत और हम…

कवि संगम त्रिपाठीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************************* विकास के कुछ पायदानों को अब जोड़ा जाना है… अर्थात हमारे देश की विकास की दिशा में निरंतर वृद्धि हो रही है, इसमें कोई संदेह नहीं है। अभी हालिया वक्तव्य में कहा गया है, कि हम विकसित भारत का लक्ष्य २०५० तक पूरा कर लेंगे, अगर इसी तरह काम चलता रहा … Read more

गालियों का बाज़ार

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** शहर के बीचों-बीच एक नया ‘बाज़ार’ खुला है-नाम है ‘गालियों का बाज़ार।’ यहाँ सब कुछ बिकता है-आत्मा का सौंदर्य छोड़कर। कहने को तो यह भाषाई स्वतंत्रता का सशक्त मंच है, लेकिन असल में यह सुनियोजित मौखिक युद्ध क्षेत्र है, जहाँ शब्द तलवार बनते हैं और जुबानें बंदूक की ट्रिगर। यहाँ … Read more

मुफ्त के ज्ञान की बाढ़

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ मुफ्त के ज्ञान और इन ज्ञानियों ने हर एक तरफ़ माहौल-सा बना कर रखा हुआ है, क्योंकि मुफ़्त के चंदन का अपना अलग मजा होता है। कहीं भी चले जाएँ, हमें अतिरिक्त होशियार-समझदार सज्जन मिल ही जाते हैं। हमारे शहर में भैय्या पोहे के साथ ऊपर से अलग से प्याज़ … Read more

पांडेय जी और शादी वाली रात के किस्से

लालित्य ललितदिल्ली*********************************** “भाई साहब नमस्ते” अगले को कहा ही था…कहने लगे “पेले तो हमारे साथ बैठिए, यह क्या बात हुई कि आप महिलाओं के हिस्से में जा पड़े!”मन की बात थी, जिसे दिल से कही आखिर यह कोई दिलजला ही कह सकने की हिम्मत रख सकता है।पांडेय जी ने कहा-“अजी आपको दिल से सुना है, … Read more

ऐसो लागो रंग, छुड़ाए ना छूटे…

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** रंग बरसे… (होली विशेष)… “रुको अभी… तुम्हारा नंबर ३ है… लाइन से आओ।”श्रीमती जी ने टोकन नंबर दे दिया है।मैं बाथरूम के बाहर खड़ा हूँ। शिखा से लेकर नख तक रंगों और गुलाल से मालामाल…। इससे पहले कि कोई मरीज आ धमके और मुझे रंगे हाथों पकड़ ले, इन रंगों … Read more

लोकसेवकों के यहाँ भण्डार भरा!

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ छोटे-मोटे, दुबले-पतले कैसे भी कर्मचारी हों, कोई से भी विभाग में उनका कुनबा हो, भ्रष्ट तंत्र की दीमक उस पर अपना काम दिखा ही देती है। उसको धन-सम्पदा की कोई कमी नहीं रहती है। उनका खजाना मानों स्वयं कुबेर देवता ही बड़े-बड़े घड़ों में भर रहे होते हैं। आजकल जहां … Read more

पांडेय जी और उनकी चाशनी

लालित्य ललितदिल्ली*********************************** त्यौहार खत्म हुए नहीं, कि ट्रैफिक ने तौबा न करने की भी कसम खा ली हो। हुआ क्या आजकल पांडेय जी ने अपने दुपहिए से दफ्तर जाना बंद किया, लेकिन राम प्यारी कहती थी-” बलमा उसी से जाया करो, निम्न मध्यवर्गीय अगर कार का सपना लेते हो तो यह असंवैधानिक कदम होगा।” पांडेय … Read more

आधुनिक वृद्धाश्रम यानी…

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** अभी रेलवे अस्पताल की ड्यूटी के लिए निकला ही था कि पड़ोस वाले शर्मा जी मिल गए। उन्होंने पूछा, “आपका रेलवे अस्पताल का टाइमिंग क्या है ?” मैंने कहा, “अरे, आप पड़ोसी हैं, आपको रेलवे अस्पताल में आने की क्या ज़रूरत है ? आप मेरे क्लिनिक पर ही आ जाइए … Read more

पांडेय जी की आशिक़ी और तुनक मिजाजी

लालित्य ललितदिल्ली*********************************** कहते हैं जैसे मौसम करवट बदलता है, वैसे ही पांडेय जी भी रंग बदलते हैं। बरसों पहले एक हिंदी के विद्वान ने यह कहा था कि पांडेय जी के जीवन में जितने भी रंग आएंगे, तो यह मान कर चलिएगा कि उतनी ही प्रेमिका उनके जीवन में उतने ही काव्य संग्रह ले आएंगी। … Read more