पांडेय जी और उनकी चाशनी

लालित्य ललितदिल्ली*********************************** त्यौहार खत्म हुए नहीं, कि ट्रैफिक ने तौबा न करने की भी कसम खा ली हो। हुआ क्या आजकल पांडेय जी ने अपने दुपहिए से दफ्तर जाना बंद…

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आधुनिक वृद्धाश्रम यानी…

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** अभी रेलवे अस्पताल की ड्यूटी के लिए निकला ही था कि पड़ोस वाले शर्मा जी मिल गए। उन्होंने पूछा, "आपका रेलवे अस्पताल का टाइमिंग क्या…

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पांडेय जी की आशिक़ी और तुनक मिजाजी

लालित्य ललितदिल्ली*********************************** कहते हैं जैसे मौसम करवट बदलता है, वैसे ही पांडेय जी भी रंग बदलते हैं। बरसों पहले एक हिंदी के विद्वान ने यह कहा था कि पांडेय जी…

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‘पर्यावरण अनुकूल’ गोवर्धन

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** गोवर्धन पूजा का समय है, ब्रजवासी हैं, तो गोवर्धन पर्व हमारे लिए कुछ विशेष महत्व का है। मम्मी ने सुबह ही हिदायत दे दी थी…

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करवा चौथ का व्रत

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** लो जी, पतियों के 'पतिपन' की खटारा गाड़ी की ओवरहालिंग का त्यौहार आ गया है… यानी 'करवा चौथ' आ गया है। पति-पत्नी के लाइफ टाइम…

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मुंशी प्रेमचंद जी की कुर्सी!

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** मुंशी जी-कथा संवेदना के पितामह... मैं निठल्ला-सा मुखपोथी, मेरा मतलब फेसबुक की दीवारों को आवारा आशिक की तरह छेड़ रहा था कि, एक पोस्ट पर…

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मुझे भी इतिहास बनाना है…

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** 'इतिहास', वह विषय जो समय की धूल में अपनी गौरव गाथाएँ समेटे रहता है, पर पता नहीं क्यों, कभी इतिहास ने मुझे इस पर गर्व…

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मुझे भी बिकना है…

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** आईपीएल मैच का सीजन चल रहा था। क्रिकेट का तो शुरू से मेरा ज्ञान सिर्फ फील्ड से बाहर गई गेंद को दौड़-दौड़ कर लाकर बॉलर…

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लंगड़ी टांग का खेल

डॉ. मुकेश 'असीमित'गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** बचपन में याद है हम सभी एक खेल खेला करते थे, 'लंगड़ी टांग' का खेल। बहुत मजेदार खेल था। खेल में शामिल लोगों को जितना…

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अंतिम इच्छा

डॉ. बालकृष्ण महाजननागपुर ( महाराष्ट्र)*********************************** एक वरिष्ठ साहित्यकार काफी दिन से बीमार चल रहे थे। प्रत्येक दिन समाचार-पत्र में काव्य पाठ का समाचार पढ़कर अधिक उत्तेजित हो उठते। काश! मैं…

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