काव्यभाषा
खेल बस जीभ का
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* खेल समझ बस जीभ का, शब्द लपकती जान।अन्तर्मन के भाव से, गढ़े मान-अपमान॥ नवरस से जिह्वा लसित, उच्चारण स्थान।तनिक प्रमादित चूक हो, पतन समझ इन्सान॥ सावधान मन वञ्चना, जीभ बने मनमीत।शब्द फँसे मन जाल में, जीभ बिगाड़े प्रीत॥ नित जिह्वा हो लालची, वाणी फँसे कुचक्र।मर्यादा तोड़े कहीं, कहीं दिलाये … Read more
औरतें… कई बार
सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* औरतें एक ही जीवन में कई बार मरती है,फिर कुछ फर्ज याद कर यूँ ही जी उठती है। घसीट-घसीट कर पैरों को दौड़ती-फिरती है,मरी हुई काया से ऐसे बदला निकालती है। धीरे-धीरे अपनी खुशी को मारती जाती है,कुछ इस तरह अपनी ज़िन्दगी गुजारती है। खुद के लिए शिकायतें करना छोड़ देती … Read more
घर में व्यस्त स्त्रियाँ
डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ घर में व्यस्त स्त्रियाँ-अक्सर…क़ैद हो जाती हैं,दीवारों के बीचबुनती रहती हैं ख़्वाब…सजीले आँखों से,घर के कोनों को सजाती हैंअपनी वेदनाओं को,भित्ति चित्रों के रंगों में डुबोकरगाढ़ा कर… निखार देती हैं,स्वर्ण की तरह,तपती रहतीं हैंजीवन की पगडंडियों पर,चलते-चलते…सिंचित कर देती हैं,खेतों और खलिहानों को। घर में व्यस्त स्त्रियाँ-मृदंग-सी बजती रहती हैं,भावों … Read more
कहें आज घिनौना
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************* शुभ-लाभ बुद्धि के प्रदाता को,क्यों ‘गोबर गणेशन’ कहते हैं ?मूर्खता से इन्हें किसने जोड़ा ?हम उनकी मजम्मत करते हैं। स्वतंत्रता आंदोलन की क्रांति,पहुंच चुकी थी हर गली-द्वारेविस्तार दिया एक परम्परा,गणेश विराजने चौक-चौबारे। इसी बहाने क्रांतिकारी जन,एक स्थान पर एकत्रित होतेपरतंत्रता की जड़ें काटने,स्वतंत्रता का पौधा बोते। हर हिंदू घर गोबर मृदा से,परतंत्रता … Read more
विपुल मति दायक गणेश
सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** आए आए गजानन, होकर मस्त मलंग,भक्तवृंद दर्श मग्न, होत मंगल भगवन। वंदनीय सदा तुम, पूजनीय सदा तुम,अनुपम देह तुम, अग्रपूज्य भगवन। अभिनंदन हे! दिव्य, अभिनंदन हे!पूज्य,तुम अति अद्वितीय, पार्वती माँ के नंदन। चौकी चंदन सजाऊं, श्रद्धा से तुम्हें बिठाऊं,स्तुति रह रह गाऊं, विराजो शिवनंदन। हर्ष सिंगार कराऊं, पुष्प-दूर्वा मैं चढ़ाऊं,मोदक … Read more
डूब जाओ चुल्लूभर पानी में…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ इलाज के अभाव में,तड़पते व्यक्ति कोदेख अस्पताल मेंहमें बहुत गुस्सा आया,जो आजकल कफन के सौदागार बन बैठे हैंऐसे लोगों को चुल्लूभर पानी में डूब जाना चाहिए…। क्या मानवता मर चुकी है ?दिखावे के लिए दान-पुण्य का नाटक,पर भूखे-प्यासे परेशान व्यक्ति को कहाँ मिलता है भोजन !तुम फोटोबाजी के लिए ये … Read more
क्षमा वीरस्य भूषणम्
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** ‘क्षमा’ से बड़ा कोई नहीं दान,जैन तीर्थों में यही गाथा है महान। ‘अहिंसा परमोधर्म’ की बात निराली,जीवों पर दया की निधि हमने पाली। ‘क्षमा’ से ही होते बड़े काम,लक्ष्य हो सफल बाकी सब निष्काम। दया-धर्म की छाँव आओ बैठें,‘अधर्म’ के हटाओ सब जगह ठेके। ‘क्षमा वीरस्य भूषणम्’,अतिथि का ये ही होता … Read more
उफ़! ये बारिश की बूँदें…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** उफ़! ये बारिश की बूँदें,जैसे धरती के मन की मुस्कानथके हुए पत्तों को है सींचतीं,हर जीव को देतीं नया अरमान। गिरती हैं, फिर मिट जातीं,पर हर बार नया जीवन जगातींसिखातीं कि गिरना अंत नहीं,गिरकर उठना ही सच्ची करामात है कहीं। हर बूँद कहती है धीमे सुर में-“जीवन बहाव है, रुकना नहीं।”छोटा … Read more
अंगना में आए गणराजा
उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** अंगना में आए गणराजा श्रीगणेश,रिद्धि-सिद्धि के संग गौरा श्रीमहेशफूलों की हो रही झर-झर बारिश,गौरा के लाल की छवि सुंदर गणेश। प्रथम पूज्य है इनके लिए माता-पिता,जगत भ्रमण का आदेश सुनते सोचामेरे माता-पिता मेरे आराध्य हैं सोचा,इनको नमन कर घूमे प्रथम थे पहुंचा। माता-पिता की सेवा आशीर्वाद मिला,चतुर्थी शुक्ल पक्ष वरदान … Read more