माँ के चरणों में स्वर्ग की अनुभूति

जी.एल. जैनजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* पैर में लगे काँटे की चुभन का, माँ आँसू होती है,कोख में जन्म देने का माँ निःस्वार्थ बलिदान होती हैजीवन के हरेक लक्ष्य का, संघर्ष हो माँ तुम,अंगुली पकड़ आत्मनिर्भरता का माँ गुरुमंत्र होती हैमाँ के चरणों में स्वर्ग की अनूभूति होती है। माँ को परिभाषित करने के शब्द नहीं होते हैं,ईश्वर … Read more

आतंक मिटाता ज़िन्दगी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* आतंक मिटाता ज़िन्दगी, करता सदा विनाश,यह समझें हैवान यदि, तो बदलेगा मौसमख़ून-खराबा कब तक होगा, बतलाओ तुम मुझको,पहलगाम जैसी जगहों पर होगा कब तक मातम। जिसने तुमको भड़काया है, समझो उनकी करनी,मूर्ख बनाकर वे यूँ सबको, करें मौत का खेलानहीं जान लेने में हिचकें, चिंतन है शैतानी,बर्बादी भाती है जिनको, करते … Read more

जीवन एक पहेली

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** जीवन तो है एक पहेलीसमझ न इसको पाऊँ,जितना भी मैं कोशिश करतीऔर उलझती जाऊँ। चित्त नहीं परिपक्व विविधविधि घेर लिया करुणा ने,सभी इंद्रियाँ विभ्रमित करतींउलझा मन तृष्णा में। तेजहीन मैं क्या उत्तर दूँज्ञान है मुझमें सीमित,ऊपर-नीचे दायें-बायेंमाया करती मोहित। पता नहीं कल क्या होना हैचिंता यही सताए,कल की सोच-सोच कर मनवाआज को … Read more

छाया आतंक का साया

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* आतंक,विनाश और ज़िंदगी (पहलगाम हमला विशेष)… पावन, सुंदर धरती अपनीछाया आतंकी साया हैनिर्दोषों का लहू बहा कर,कौन-सा धर्म निभाया है ? माँओं की कोख करी सूनी,सिंदूर किसी का मिटा दिया मानवता को बदनाम किया,कैसा अधर्म अपराध किया ?प्राणों के दुश्मन बन करके,हँसतों को खूब रुलाया है॥निर्दोषों का लहू बहाकर,कौन-सा धर्म निभाया है…? … Read more

मजदूरी भी मजबूरी

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** श्रम आराधना विशेष… जीवन था सपनों-सा सुंदर,माटी में खेल रचा था अंदरकिसने देखी सुबह कहाँ पर,किसने देखा था आसमान पर। भाग्य कहाँ से कहाँ ले आया,अपनों ने ही मजबूर बनायापापी पेट ने मजदूर बनाया,मेहनत से मन नहीं घबराया। सपने मेरे औरों से भी ऊँचे थे,एक दिन कार्य भी बदलने थेपढ़-लिख … Read more

मिट्टी को सोना बनाता हूँ…

डॉ. राम दयाल बैरवाअजमेर (राजस्थान)******************************************* श्रम आराधना विशेष… मैं मिट्टी में पसीना बहाता हूँ,मिट्टी को सोना बनाता हूँ। अभाव दर्द थकान सब सह जाता,साधारण जीवन में शकुन पाता। माथे पर पसीना जैसे चमके नगीना,करते श्रम अपार चाहे कोई हो महीना। दर्द-थकान को भूल कर चैन से सो जाता,सुबह उठते ही एक नई ताजगी पाता। रात-दिन … Read more

श्रमेव जयते

गोवर्धन थपलियालनई दिल्ली******************************************** श्रम आराधना विशेष… सूरज आक्रोशित हो आग बरसाता जाता है,घाम की तीव्रता चढ़ रही जन-जन प्यासा है। इस भीषण गर्मी में मानव जूझता रहता है,सुबह-सबेरे से दिन ढले कृषि श्रम करता है। तपती दोपहरी में मजदूर मजदूरी करता है,इस ज्वाला में कभी दिल नहीं पिघलता है। अजगर चाकरी करता है पंछी भी … Read more

मज़दूर की माटी

डॉ. पंकज कुमार बर्मनकटनी (मध्यप्रदेश )************************************** श्रम आराधना विशेष…. मुट्ठी में धूप समेटे चलता है वो हर रोज़,माथे पे पसीने का ताज लिए रखता है संजोग। मकान तेरा हो या मेरा, उसी की नींव से खड़ा,मौन रहकर भी बोलता, वो हर ईंट में जुड़ा। मुट्ठियाँ भरी नहीं कभी, फिर भी नहीं थमा,मज़बूती से थामे रखा … Read more

बताओ कौन है श्रेष्ठ…?

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ************************************************************* देखो वह रामलाल का लाल,लाल बाबू है बड़ा ही कमालबचपन से ही पढ़ने में तेज,पढ़ाई बिना लगाता नहीं सेज। पढ़ता वह मन लगाकर दिन-रात,गुरूजन भी देते उनका सदा साथसाथ पा पढ़ाई हुई उनकी पूरी,करने लगा अब नौकरी की तैयारी। तैयारी उसकी लाने लगी रंग,जीवन में अब छाई उमंगबाबू बन गया … Read more

जी लेने दो…

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* तनिक थोड़ा-सा आराम तो करने दो,दो पल लिए मन को बहला लेने तो दो। कुछ पल लिए ही सही, जी लेने दो,तनिक थोड़ा-सा आराम करने दो। दबाते रहते हैं अपने जज्बातों को,कुछ पल लिए ही सही जी लेने दो। नहीं है शिकवा कभी भी किसी से,अपने अरमानों में जी लेने तो … Read more