अनुभव से जो सीखते

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* अनुभव से जो सीखते, कभी न खाते मात।काम बड़े करते सदा, हो जाते विख्यात॥हो जाते विख्यात, विनय को धारण करते।पाते आदर मान, कष्ट सबका वो…

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सेवा धर्म महान

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* सेवा धर्म महान है, जीवन का आधार।करें कर्म निस्वार्थ ही, सुखमय हो संसार॥सुखमय हो संसार, धर्म ये जो भी करता।हो जाता भव पार, कष्ट सबके…

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कहो, भला कैसे जिएँ ?

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** कहो भला कैसे जिएँ, इस युग के सब लोग।भूमि प्रदूषित कर रहे, ग़लत करें उपभोग॥ग़लत करें उपभोग, कहो फिर कैसे होगा।जल-वायु और अन्न, हमें कब शुद्ध मिलेगा॥सब…

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बम-बम भोले

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** करना प्रभु सब पर दया, महादेव है नाम।रोज़ चढ़ाओ जल उन्हें, सादर करो प्रणाम॥सादर करो प्रणाम, सदा सुख देने वाले।बम बम भोलेनाथ, बड़े ही भोले-भाले॥कह 'सरोज' सुन…

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दर्पण झूठ न बोलता

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* दर्पण झूठ न बोलता, सदा दिखाता सत्य।जो जैसा वैसा दिखे, होता नहीं असत्य॥होता नहीं असत्य, दोष गुण सब आ जाते।राजा हो या रंक, सभी निज…

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आशा का दीप बुझने मत देना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नया सबेरा, नयी आशाएँ, नए संकल्प… लेना तुम संकल्प यह, हो हर पल का मान।लक्ष्य ध्यान में नित्य रख, कर नित ही उत्थान॥कर नित ही उत्थान,…

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आ गई सर्दी

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* सर्दी की ऋतु आ गई, जलने लगे अलाव।कुहरा अब छाने लगा, बढ़ता शीत प्रभाव॥बढ़ता शीत प्रभाव, लगे मौसम सुखदाई।ठंडी चले बयार, सभी को भाय रजाई॥हाड़…

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पंडित वही, जो करता उत्थान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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पंडित कहलाता वही, जो रखता है ज्ञान।
धर्म, कर्म को मानकर, नित करता उत्थान॥
नित करता उत्थान, मान जिसका बढ़ जाता।
अंधकार को मार, उजाला जो ले आता॥
रखे चेतना संग, करे पापी को दंडित।
बाँटे सबको नीति, वही कहलाता पंडित॥

पंडित का हो मान नित, कहता है यह धर्म।
ज्ञान-वान पुजता सदा, यह है चोखा मर्म॥
यह है चोखा मर्म, ईश को जो समझाता।
आलोकित संसार, नवल वह तो रच जाता॥
जो होता है दिव्य, ताप से होता मंडित।
कहे सनातन मान, वही होता है पंडित॥

पंडित से ही धर्म को, मिलता है आकार।
और ज्ञान, तप, रीति की, आती सदा बहार॥
आती सदा बहार, सुमंगल गुंजित होता।
ज्ञान बिना संसार, सिसककर नित है रोता॥
मानो सारे धर्म, नहीं हो पाये खंडित।
होता ईश्वर-दूत, जिसे सब कहते पंडित॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में है। आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर)में हुआ है। एम.ए.(इतिहास, प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैं। करीब ४ दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई है। गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैं। साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो (३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं( विशेषांकों) का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंk  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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भारत-भू पर जन्म गौरव

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* भारत भू पर जन्म ही, गौरव की है बात।स्वर्ग तुल्य है ये मही, मिली हमें सौगात॥मिली हमें सौगात, वीर जननी कहलाती।करते देव निवास, सृष्टि इसके…

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बचपन के दिन…

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* बचपन के दिन याद हैं, रहता मन उल्लास।चिंता और तनाव भी, कभी न आते पास॥कभी न आते पास, लाड़ सब खूब लड़ाते।रहते थे खुशहाल, कभी…

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