अंधेरे से नहीं डरती

सुनीता उपाध्याय`असीम` सिकन्दरा(उत्तरप्रदेश) ************************************************************* किसी का दु:ख नहीं मैं दूर कर सकती जहाँ में, गरीबों को गले से मैं लगा लेती हूँ लेकिन। कभी भी मोह-माया पर भटकता ध्यान है…

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ताक़त है आज़मानी आज फिर

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’ कानपुर(उत्तर प्रदेश) ***************************************************** साथ मिलकर ईद होली है मनानी आज फिर। प्यार की गंगा हमें यारों बहानी आज फिर। खोल दी है याद की इक…

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रंगों की फुहार

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** राधा बृषभान की छोरी,प्रेम रंग से खेले होली, मन पर प्रेम र॔ग की पिचकारी,श्याम ने खूब मारी... अंग-अंग,रोम-रोम भीगा,राधा श्याम की होली। गोपियों का महारास,बना गोकुल…

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सीमा

हरीश बिष्ट अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) ******************************************************************************** सीमाओं के भीतर रहकर, अपने कार्य करते जाओ मंजिल का रख ध्यान सदा, तुम आगे ही बढ़ते जाओ। जीवन में मेहनत करने की, होती नहीं…

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जुल्म और जुर्म

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** जुर्म कर रहे हैं वो जुल्म सह रहे हैं जो, बंध के बंदिशों की बेड़ियों में रह रहे हैं जो। जो तूफानों का कभी मोड़…

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हमारा भारत

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* शीश मुकुट हिमालय जिनकी छाती पर पावन गंगा है, महिमा उस देश की गाता हूँ,जिस देश की शान तिरंगा है। जहाँ ताजमहल और लाल किले-सी…

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उमंग

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* उड़े फागुन के रंग, मन में भरी उमंग खेले बंधुओं के संग, गुलाल उड़ाइयेll पीकर ठंडाई भंग, मस्ती में बजाए चंग मिल-जुल खेलें सभी, उमंग…

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होली

बिनोद कुमार महतो ‘हंसौड़ा’ दरभंगा(बिहार) ********************************************************************* होली ऐसा पर्व है,लाये हर्ष अपार। चाहे राजा-रंक हो,सबमें दिखता प्यार। सबमें दिखता प्यार,गाँव परदेशी आते। नया-नया पकवान,सभी हैं मिलकर खाते। कह बिनोद कविराय,दिखे…

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नारी एक शक्ति

अंतुलता वर्मा 'अन्नू' भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************************************************ नारी तुम मात्र नारी नहीं हो... सृष्टि के आरंभ की शिला हो तुम...। जगत-जननी हो तुम, सूर्य का तेज हो तुम। समुद्र की गहराई…

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सनातन काल से स्त्री

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात ) **************************************************************** माँ अंधी थी हमारी, पिताजी की उंगली पकड़कर उम्र भर चलतीं रहीं। अगर वे उन्हें रुकने को कहते तो वे रुक जाती थीं,…

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