जीवन बनता है अनमोल

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)… पितरों का आशीष हमेशा, देता है सुख अपरम्पार।खुशियाँ ही खुशियाँ मिल जाती, मिलता है जीवन का सार॥ उनकी ही कृपा से मिला, यह जीवन बनता है अनमोल,जीवित रहते उनसे बोलो, दो मीठे प्यारे से बोल।उनकी छाया से होता है, इस पूरे जग का … Read more

जो दर्द मिला, मन उबर न पाएगा

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* बादल गरजे पानी बरसा,पर इस बार था मंजर डर कानदियों में बस धाराएं नहीं थी,इनमें थी प्रलय की परछाई। नदियाँ बनी कहर की मूरत,बहा ले गईं अमन और चैनखेत बने हैं जल का दरिया,अब स्वप्न विहीन रीते-रीते हैं नैन। जिस आँगन में गूँजती थी हँसी,वहाँ अब बस पानी-पानी हैसहमा-सहमा सा आलम है,मानों … Read more

पाते पुरखे तृप्ति

आचार्य संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)…. सत्य सनातन धर्म संस्कृति,वैदिक ज्ञान संग वेद पद्धतिपुराण, ग्रंथ, श्रीकृष्ण की उक्ति,वाल्मीकि, तुलसी जस भक्ति। श्राद्ध कर्म हृदय स्वभाव अभिव्यक्ति,पाते पुरखे, भाव भक्ति व वंश से तृप्तिश्रद्धा समर्पित करें, पिंडदान दे मुक्ति,देवताओं का यही कथन और उक्ति। माता-पिता जीवन-चक्र देव तुल्य मूर्ति,उनके … Read more

क्षण-क्षण

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** क्षण-क्षण समय उड़ रहा है,इतिहास एक नया गढ़ रहा हैपकड़ना चाहती हूँ कुछ पलों को,समय के साथ वह मुझे बदल रहा है। काग़ज़ पर क़ैद किए हुए,ये कुछ पल ही तुम्हारे होंगेवे तो बस तुम्हारी यादों में बस जाएँगे,क्या करना समय को ऐसे पकड़ करवो तो बादल की तरह उड़ जाएँगे। बादल … Read more

देवशिल्पी विश्वकर्मा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* पहले पौरोणिक वास्तुकार और शिल्पकार देव विश्वकर्मापरमपूज्य हैं, तापमयी हैं, प्रखर हैं स्वमेव विश्वकर्मा। मान्य देव हैं,अति उत्कृष्ट हैं, प्रभुतामय देव विश्वकर्मा,वास्तुशिल्पी हैं, अभियंता प्रखर, सृजन देव विश्वकर्मा। भगवान विश्वकर्मा की महत्ता सदैव जाज्वल्यमान है,जिन पर हिंदू ही नहीं, सभी देवताओं को अभिमान है। मान्यताओं के अनुसार वे सर्वमान्य महान कर्मयोगी … Read more

श्रद्धा से करें श्राद्ध

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)…. श्राद्ध पक्ष में पितृअपने घर आते हैं,और हमारी श्रद्धा देखकरआशीर्वाद दे जाते हैं। श्राद्ध में हम जो भी करेंउसको श्रद्धा के साथ करें,और अपनी ज़िंदगीको खुशियों से भरें। आजकल चारों ओरश्रद्धा का अभाव है,ये पाश्चात्य संस्कृतिका प्रभाव है। पितृ आशा लेकर आते … Read more

पहनी भारत की खादी

विजयलक्ष्मी विभा प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)************************************ हम मिटा दासता सदियों की, जब ले आये आजादी,भारत के वीर सपूतों ने, पहनी भारत की खादी। हम समझ गये स्वराज्य क्या है,क्या अपना और त्याज्य क्या हैक्या अमर धरोहर है अपनी,इस धरती पर विभाज्य क्या हैहम उड़ा हवा में देते थे जब समझाती थी दादी। हम काट रहे थे दिन अपने,बस … Read more

श्राद्ध की धूप श्रद्धा की बात

डॉ. रचना पांडेभिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)…. श्राद्ध की धूप, श्रद्धा की बात,पितरों की याद, दिल की बातश्रद्धा के साथ, तर्पण का जल,पितरों की आत्मा को शांति का फल। पितरों की याद, दिल में बसी,श्रद्धा के साथ, उनकी आत्मा को प्यारश्राद्ध का दिन, पितरों का सम्मान,श्रद्धा के साथ, उनकी याद में जीवन। … Read more

सृजन देव वर दीजिए

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** सृजन देव वर दीजिए, आऊँ किसी के काम,जगह-जगह संग्राम छिड़ा, कैसे लगे लगाम ?एक युद्ध अभी खत्म न होता, दूजा है छिड़ जाता,वह भी खत्म न हो पाता, तीसरी जगह छिड़ जाता। लाखों लोग युद्ध में मर गये, लाखों हो गए घायल,माँगों का सिन्दूर मिट गया, चीख रही है पायलमात-पिता की लाठी … Read more

श्राद्ध हमारी श्रद्धा

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)… अंधेरे आकाश में अब टिमटिमाते तारों-सी,कुछ कहानियाँ परिजनों के मन में छुपी-सीवह कोई कर्मकांड नहीं, दिल के हैं एहसास,कहें श्राद्ध परन्तु यही रिश्तों में श्रद्धा खास। जब बंद हो ऑंखें, यादों का गाँव बस जाता,स्वर्गवासियों का स्नेहाशीष भाव याद आताउनकी वे बातें, … Read more