थकते नहीं, मजदूर हैं

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... श्रम करतेसिर पर टोकरीथकते नहीं। भार उठातेकरते परिश्रमतपती धूप। औरों के हितनिज का परित्यागयही जीवन। सर्दी गरमीसबमें है समानफिर भी खुश।…

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बहुत देर कर दी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** प्यार टेसू-सा,जो मौसम का रखताप्यार का हिसाब,यदि गुलाब-सा होताखुशबू बरकरार,किताबों में रखा फूलमहकता रहता,सूखने के बाद भीदूरियाँ यादों कीवाई-फाई,मगर देर हो चुकीचिड़िया चुग गई खेत। सपने बने…

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मजबूर नहीं, मज़दूर हूँ मैं

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* मजबूर नहीं,मज़दूर हूँ मैंमेहनत की रोटी खाती हूँ। दिनभर तप कर,कस कर श्रम करबहुत थोड़ा कमाती हूँ मैं। रेती, गारा, ईंट और पत्थर,सिर पर ढोकर, जोड़-जोड़करघर,…

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शिव से रिश्ता जोड़िए

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम... नश्वर इस संसार से, क्या जायेगा साथ।शिव से रिश्ता जोड़िये, सदा झुकाकर माथ॥ औघड़दानी शम्भु शिव, लेते हैं जो नाम।काम सफल होते…

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संघर्ष भरा जीवन…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... संघर्ष भरा जीवन, मजदूर जिया करते।हर एक मशक्कत से, दु:ख दूर किया करते। संघर्ष जरूरी है हालात बने जो भी,बिस्मिल…

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श्रमिक की व्यथा

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... श्रमिक दिवस है आज,आप मुझ पर कविता लिखिएकहानी लिखिए, श्रम-दिवस मनाइए, भाषण सुनाइए। मैं कल जहाँ था, आज भी वहाँ हूँ,मेरी जिन्दगी…

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कुछ भी करने को मजबूर…

मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... सुख-सुविधाओं सेकोसों दूर,पापी पेट की खातिरकुछ भी करने को मजबूर,होते हैं मजदूर। जहां मिले रोजी-रोटी,डालते वहीं रैन-बसेराश्रम के उपासक,कर्म के साधकविकसित…

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अटूट बंधन

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* दास्ताँ लिखोगीअटूट बंधन कीपढ़ेगा जग। निरंतर हैसंघर्ष ये जीवनसमझो इसे। कविता तुमउपन्यास तुमसेसाहित्य हम। धीरज नहींआतुर है मानवहोगा विनाश। तुलते रिश्तेपनपते हैं कहाँउपजे दूरी। फले-फूले…

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कालू

डॉ. सुनीता श्रीवास्तवइंदौर (मध्यप्रदेश)*************************************** जीवन संघर्ष (मजदूर दिवस विशेष)... आज फिर ११ वर्षीय कालू उसके पास आकर खड़ा हो गया, बोला-"मैम कोई काम बता दो, जो बोलो वो कर दूंगा…।"एक…

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सरहदी बाशिंदे

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** माँएं रोती खून के आँसू,बाप बेचारे बिलखते हैंजब नन्हें-नन्हें बच्चे उनके,ललाट पर गोली खाते हैं। घरों के उड़ते तब परखच्चे से उनके,जब पाकिस्तानी बेवजह गोली चलाते…

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