हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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माँएं रोती खून के आँसू,
बाप बेचारे बिलखते हैं
जब नन्हें-नन्हें बच्चे उनके,
ललाट पर गोली खाते हैं।
घरों के उड़ते तब परखच्चे से उनके,
जब पाकिस्तानी बेवजह गोली चलाते हैं
त्राहि-त्राहि कर छोड़ते आँगन- द्वार सब,
यहाँ कई सैनिक भी शहीद हो जाते हैं।
सरहदी बाशिंदों की देखी वो पीड़ा मैंने,
टी.वी. चैनल हमें जो भी जैसा दिखाते हैं
मौत तो आएगी जब आएगी तब ओ प्रभु!
वे इस पीड़ा में क्षण-क्षण मरते जाते हैं।
दो मुल्कों की आपसी तनातनी में,
ये दिन-रात अपना सुख-चैन गंवाते हैं
कभी तवे की रहती तवे पर धरी की धरी,
चूल्हे में डाली चूल्हे में ही छोड़ जाते हैं।
बस ‘सीज फायर’ का उल्लंघन करते ही उनके,
ये दौड़-भाग कर मुश्किल से जान बचाते हैं
इनकी तमाम उम्र का सिलसिला बस यही है,
ये दहशत में जीते हैं और दहशत में मर जाते हैं।
दोनों मुल्कों में हालात बराबर यही है,
क्योंकि हम भी जवाबी गोली चलाते हैं
गोली तो गोली ही होती है बेरहम, निर्दय,
लग जाती है, जो उसके सामने आते हैं।
वह देखो बरसी फिर से है गोली,
ग्रेनेड, गजब जोर के धमाके हैं
वे सरहदी बाशिंदे दौडे-भागे,
वे जवान ही शहीद हो जाते हैं।
तिरंगे की लेकर ओट ये बांकुरे,
देश पर कुर्बानी अपनी चढ़ाते हैं
देकर आँसू तब हमारी आँखों मे,
वे हममें राष्ट्रप्रेम पुनः जगाते हैं।
भूली तब उन्होंने जवानी भी अपनी,
सब भुला दिए रिश्ते और नाते हैं
सरहदी सीमाओं की रक्षा करते-करते,
उनको बस अपने फर्ज ही याद आते हैं।
धन्य-धन्य ओ जननी! कोख है तेरी,
जिसने ऐसे अद्भुत अदम्य वीर जनाए हैं।
उन्होंने दागी गोली कि आतंक फैलाएं,
इन्होंने छाती पर ही वार सब खाए हैं।
तिरंगे की लेकर ओंटें इन्होंने,
चोटें सीने पर बहुतेरी खाई हैं।
माँ-बाप को रुलाए खून के आँसू,
सधवाएं विधवाएं क्षण में बनाई हैं॥