आबादी-बर्बादी

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* बढ़ी आबादी,सब हैं परेशाननिकले हल। वक़्त रहते,वक़्त को पहचानरुके बर्बादी। हुए शराबी,खोया घर संसारदुःख की बात। सुनते सभी,गुनते कभी नहींयही ख़राबी। समझें जब,ज़िंदगी की क़ीमतजीना…

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फैले रोशनी

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** झिलमिलाएं,हर मन के दीप-जगमगाएँ। रंग सजाएँ,हो ज्योति का उत्सव-मनभावन। देहरी दीप,भरोसा रखें सब-हैं कल्पनाएँ। हो दूर तम,फैले रोशनी दिशा-शुभकामना। करें प्रार्थना,भलाई हो जग में-सब मुस्काएं॥

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नमन गुरु

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष..... ज्ञान प्रकाश,शिक्षक बिखेरता-रोशनी बन। तमाम उम्र,ज़िंदगी ने सिखाए-तज़ुर्बे कई। कोर्स बदले,शिक्षक न बदले-कक्षाएँ वहीं। सफ़ेद धब्बे,चित्र उकेर जाए-मन को…

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अद्भुत शिवशंकर

मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश)  ***************************************** नर से नारी,मनमोहन रुपलीला अपार। है वरदानी,नंदी गण सवारीशिव शंकर। अदभुत है,पीवत गांजा भांगऔघड़ दानी। विकट रुप,तपस्या भंग हुईतांडव रुप। डमरू बाजे,डम डम डम रेहर्षित मन।…

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पृथ्वी और पर्यावरण

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* पर्यावरण दिवस विशेष.......... पृथ्वी कहे-पर्यावरण दिन,मानव जागे। उचित होगा-संरक्षण करना,प्रत्येक दिन। दूषित करे-नदियाँ जलाशय,सोचता नहीं। उजाडे़ वन-वृक्ष काटते सदा,प्रगति नाम। बाढ़ बढ़ावे-तूफान भी भीषण,पावे हताशा।…

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जीतना है…

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’इन्दौर मध्यप्रदेश)********************************************* आंधी-तूफान-अच्छा है कोरोना से,दिखता तो है। ढूंढना मत-कोई गुनहगार,कोरोना तो है।मन का बोझ-मत बनाना इसे,मारा जाएगा।टूटना नहीं-कोरोना को तोड़ना,करना योग।सुन कोरोना-मन है विचलित,अब हो विदा।इंसान बड़ा-अदना-सा…

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हमारे पालनहार

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* पिता हमारे-संकट में रक्षक,ऐसे सहारे। पिताजी सख्त-घर पालनहारऊँचा है तख्त। पिता का साया-ये बाजार अपना,मिले ये छाया। पिता गरम-धूप में छाँव जैसे,है भी नरम। घर की धुरी-परिवार…

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मैं मजदूर…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान)****************************************** मैं मजदूर-रोटी की तलाश में,घर से दूर। सुबह शाम-बहाता स्वेदकण,नहीं विश्राम। दिल है बड़ा-अंधेरी झोपड़ी से,महल खड़ा। कैसी लाचारी-फुटपाथी जीवन,व्यथा है भारी। सब हैं मौन-सिर्फ़…

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माता हमारी जीवनदायिनी

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* माता हमारी,चाँद-सूरज जैसी-है वह न्यारी। माता का प्यार,अदृश्य वात्सल्य का-फूलों का हार। माता का क्रोध,हमारे भले लिए-कराता बोध। घर की शान,माता रखती ध्यान-करो सम्मान। माँ का दुलार,भुला…

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कलम तीर है,बलवीर है

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* कलम तीर,कलम की ताकत-ये शमशीर। कलम शक्ति,कलम की पहुंच-करे भी भक्ति। कलम लिखे,शब्दों की सरगम-जो शक्ति दिखे। कलम जादू,कर सके कमाल-वक़्त बदलू। कलम बोले,ये सारा सच खोले-आदमी…

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