सखा बेमोल

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** मित्रता और जीवन… मित्र अमोल,रखिए मेल जोल-सखा बेमोल। बनाएं दोस्त,दिल धड़क दोस्त-आस्था दोस्त। न करो राख,मित्रता ही साख-रिश्ता खास। दोस्ती ज्ञान,रिश्ता इसे जान-बनाएं मान। मीठे से बोल,रुपए मत तौल-ये अनमोल। साँस रखना,साथ-हाथ रखना-प्यार रखना। भरोसा देना,बुरा मत करना-सदा रहना। रख लो मान,ना आए अभिमान-हो सम्मान। अच्छी यारी,प्रेम की फुलवारी-लम्बी पारी। मित्रता हमारी,है … Read more

युग पुरूष स्वामी विवेकानंद

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* स्वामी विवेकानंद जयंती विशेष….. भारत आन,स्वामी विवेकानंद-युग पुरूष। देव पुरूष,धन्य माता भारती-सन्यासी तुम। विश्व के गुरू,उच्च थे उद्देश्य-सम्मान देश। संसृति तुम्हें,कोटि-कोटि नमन-निराली भक्ति। विश्व में राग,संस्कृति और धर्म-गाये महान। थे उर्जावान,वेद शास्त्र ज्ञाता-संत महान। ज्योत जलाए,युवा शक्ति महान-दिए प्रेरणा। लक्ष्य हो प्राप्त,रूकना नहीं चलो-थके ना पग। सदा नमन,‘युवा दिवस’ आज-विश्व … Read more

आबादी-बर्बादी

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* बढ़ी आबादी,सब हैं परेशाननिकले हल। वक़्त रहते,वक़्त को पहचानरुके बर्बादी। हुए शराबी,खोया घर संसारदुःख की बात। सुनते सभी,गुनते कभी नहींयही ख़राबी। समझें जब,ज़िंदगी की क़ीमतजीना बदलें॥ परिचय–डॉ. आशा वीरेंद्र कुमार मिश्रा का साहित्यिक उपनाम ‘आस’ है। १९६२ में २७ फरवरी को वाराणसी में जन्म हुआ है। वर्तमान में आपका स्थाई … Read more

फैले रोशनी

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** झिलमिलाएं,हर मन के दीप-जगमगाएँ। रंग सजाएँ,हो ज्योति का उत्सव-मनभावन। देहरी दीप,भरोसा रखें सब-हैं कल्पनाएँ। हो दूर तम,फैले रोशनी दिशा-शुभकामना। करें प्रार्थना,भलाई हो जग में-सब मुस्काएं॥

नमन गुरु

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष….. ज्ञान प्रकाश,शिक्षक बिखेरता-रोशनी बन। तमाम उम्र,ज़िंदगी ने सिखाए-तज़ुर्बे कई। कोर्स बदले,शिक्षक न बदले-कक्षाएँ वहीं। सफ़ेद धब्बे,चित्र उकेर जाए-मन को भाए। रख हौंसला,शिष्यों को तराशते-आकर गढ़ें। ऑनलाइन,चाहे ऑफ़लाइन-कर्तव्य पथ। चाक-डस्टर,हाथ में रजिस्टर-भाग्य विधाता। नमन गुरु,चुनौतियाँ अनंत-ज्ञान से अंत। पुस्तक-पेन,दुनिया बदल दे-शिक्षक संग। तिमिर पथ,रोशनी हैं … Read more

अद्भुत शिवशंकर

मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश)  ***************************************** नर से नारी,मनमोहन रुपलीला अपार। है वरदानी,नंदी गण सवारीशिव शंकर। अदभुत है,पीवत गांजा भांगऔघड़ दानी। विकट रुप,तपस्या भंग हुईतांडव रुप। डमरू बाजे,डम डम डम रेहर्षित मन। कालों का काल,महाकाल बम्भोलेमहाकालेश्वर॥ परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि … Read more

पृथ्वी और पर्यावरण

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* पर्यावरण दिवस विशेष………. पृथ्वी कहे-पर्यावरण दिन,मानव जागे। उचित होगा-संरक्षण करना,प्रत्येक दिन। दूषित करे-नदियाँ जलाशय,सोचता नहीं। उजाडे़ वन-वृक्ष काटते सदा,प्रगति नाम। बाढ़ बढ़ावे-तूफान भी भीषण,पावे हताशा। वर्षा गले जो-बदले तापमान,मानव त्राहि। करे दुहाई-सोचे नहीं मानव,आए विपदा। रोको जी क्षति-अपनी जीव दुर्गति,करो प्रगति। वृक्ष लगाओ-हरियाली बढ़ाओ,हानि हो कम। प्रकृति सदा-जीवनदायिनी माँ,देती आशीष। … Read more

जीतना है…

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’इन्दौर मध्यप्रदेश)********************************************* आंधी-तूफान-अच्छा है कोरोना से,दिखता तो है। ढूंढना मत-कोई गुनहगार,कोरोना तो है।मन का बोझ-मत बनाना इसे,मारा जाएगा।टूटना नहीं-कोरोना को तोड़ना,करना योग।सुन कोरोना-मन है विचलित,अब हो विदा।इंसान बड़ा-अदना-सा कोरोना,झटक इसे।लाल ना कर-केशरिया तिरंगा,घर में रह।हाँ,कोरोना तो-आँसू ही बहाएगा,परदेशी है।कोरोना होगा-इस तन से हवा,हो मजबूत।इधर देख-कोरोना हार गया,और मैं जीता। परिचय–कार्तिकेय त्रिपाठी का उपनाम … Read more

हमारे पालनहार

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* पिता हमारे-संकट में रक्षक,ऐसे सहारे। पिताजी सख्त-घर पालनहारऊँचा है तख्त। पिता का साया-ये बाजार अपना,मिले ये छाया। पिता गरम-धूप में छाँव जैसे,है भी नरम। घर की धुरी-परिवार मुखिया,हलवा पूरी। पिता जी माता-हमारे जन्मदाता,सब हो जाता। पिता साहसी-उत्साह का संचार,मिटे उदासी। पिता से धन-हो जीवन यापन,ऋणी ये तन। पिता कठोर-भीतर से कोमल,न ओर … Read more

मैं मजदूर…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ उदयपुर (राजस्थान)****************************************** मैं मजदूर-रोटी की तलाश में,घर से दूर। सुबह शाम-बहाता स्वेदकण,नहीं विश्राम। दिल है बड़ा-अंधेरी झोपड़ी से,महल खड़ा। कैसी लाचारी-फुटपाथी जीवन,व्यथा है भारी। सब हैं मौन-सिर्फ़ चुनावी वादे,पूछता कौन। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता उदयपुर स्थित … Read more