नैनों में ‘नीर’…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ नैनों में ‘नीर’, कौन समझता है मन की पीर। वक्त की मार, हर पल बहती अश्रु की धार। घाव गंभीर, बेदर्द है ज़माना धरना धीर। याद आती है, मेरी अँखियाँ यों ही भीग जाती है। जी लेता हूँ मैं, भीतर के दर्द को पी लेता हूँ मैं। परिचय-निर्मल … Read more