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ख़त….

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ 
उदयपुर (राजस्थान)
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ख़ामोश लब-
लिखे हुए खतों में,
छुपा है दर्द।

मधुर स्मृति-
बंद लिफ़ाफ़े में हैं,
सुर्ख़ गुलाब।

न कोई बात-
चेहरा है बुझा-सा,
नहीं जज़्बात।

भीतरी घात-
दर्द के अफ़साने,
गुजरी रात।

यही है किस्सा-
गुमनाम ज़िन्दगी,
मेरा है हिस्सा।

परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता उदयपुर स्थित हिरणमगरी (राजस्थान)एवं स्थाई गोरजी फला ऋषभदेव जिला-उदयपुर(राज.)है। आपने हिंदी और संस्कृत में स्नातकोत्तर किया है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक का है।  सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में निरंतर सहभागिता करते हैं। श्री जैन की लेखन विधा-हाइकु,मुक्तक तथा गद्य काव्य है। लेखन में प्रेरणा पुंज-माता-पिता और धर्मपत्नी है। रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को समृद्ध व प्रचार-प्रसार करना है। 

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