नवल छंद ‘विज्ञात सवैया’ और ‘कोविद सवैया’ को दी मान्यता

सरगुजा (छग)। कलम की सुगंध छंदशाला मंच पर संस्थापक गुरूदेव संजय कौशिक विज्ञात द्वारा विज्ञात सवैया और छंदशाला परिवार से परमजीत सिंह कोविद द्वारा कोविद सवैया नवल छंद निर्माण किया…

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जिंदगी की रेलगाड़ी..

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** जिंदगी की रेलगाड़ी,उम्मीदों की पटरी पर चल पड़ीआशाओं के ईंधन से भरी,सपनों के शहर चल पड़ी। जिंदगी की रेलगाड़ी,रिश्तों के डिब्बों को जोड़करप्यार का टिकट संजो…

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कुछ तो है बाकी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ 'अभी कुछ तो है बाकी',जब देखा,बुजुर्ग दंपत्ति को'भविष्य-निधि' बचाते हुए,बंध गई,गई एक आस जीवन में!कि-अभी कुछ तो उम्मीद है बाकी।'वेणी' को बालों में लगाती हुई स्त्री,को…

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पर्यावरण शुद्ध हो

निशा गुप्ता देहरादून (उत्तराखंड) ********************************** पर्यावरण दिवस विशेष..... प्रकृति विक्षोभ करे,संताप ये धरा भरेवर्षा न चाहिए जब,मेघ घिर आते हैं। फसलें ख़राब हुई,ओला वृष्टि जब हुईबिन मौसम बरखा,कृषक रो जाते हैं।…

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दिल में यही मलाल

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** दिल में जाने उठ रहे कैसे हैं ये सवाल,हैं दिल के जो धनवान बनाया उन्हें कंगाल। दौलत से नवाज़ा उन्हें दिल‌ क्यों नहीं दिया,कैसा ये तेरा…

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विनाश की ओर कदम

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* पर्यावरण दिवस विशेष...... नदी-ताल में कम हो रहा जल,और हम पानी यूँ ही बहा रहे हैं,ग्लेशियर पिघल रहे और समुन्द्र तल यूँ ही बढ़ते ही जा रहे…

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वृक्ष अवश्य ही लगाना

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* पर्यावरण दिवस विशेष........ पर्यावरण की बातें मैं,आज आपको बताती हूँपर्यावरण से क्या फायदा,मित्रों,आपको दिखलाती हूँ। वातावरण से सभी समाज,पास-पड़ोस साफ-सुथरा होहर गली-मोहल्ले इत्यादि,शुद्ध हो तो बीमारी…

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कराहती पृथ्वी

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** विश्व पर्यावरण दिवस विशेष.... 'विश्व पर्यावरण दिवस' की स्थापना ५ जून १९७२ में संयुक्त राष्ट्र संघ की सभा द्वारा स्टॉकहोम में 'मानव पर्यावरण' विषय पर आयोजित सम्मेलन…

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बाबूजी की सायकल

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. लम्बी दौड़ लगाती थी,थकती-न थकाती थीबाबूजी की सायकल,हमको बहुत भाती थी। बिन खर्चे चलती रहती,हृदय चाप सही रखतीजिम बिना व्यायाम थे,बोल…

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उनका मान-सम्मान,स्वाभिमान थी साइकिल

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. दोस्तों,आधुनिक युग में बहुत बड़े-बड़े परिवर्तन हुए हैं,आज से तीस- चालीस साल पहले की हम बात करें तो उस…

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