ये तो सारा जहान है

डॉ. आशुतोषगुरुग्राम(हरियाणा)*********************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… अपने से ज्यादा प्यार करती हूँ अपने परिवार से,कभी अलग न हों,हम अपने घर-बार से। मेरे भाई-बहन हैं चार,जीवन में कभी न हो इनकी हार।…

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अपनेपन का चौबारा हो

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ****************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… राग-द्वेष का नाम न होऔर प्यार से भी प्यारा हो,ऐसा,घर-परिवार हमारा हो…। खेल खेलें,प्यार से हमन जीते,कोई न हारा हो,ऐसा,घर-परिवार हमारा हो…। मेरा हो…

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घर की शोभा नारी

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… मैंने अकेले रहते हुए,घर में हर सुख सुविधा जुटाईलेकिन-वो ख़ुशी कभी न पाई,जो माँ,बहिन,बेटी,बहू,पत्नी के रहने से होती है।सच पूछो तो घर कितना…

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परिजन से ही ‘विजयश्री’

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… कितना पावन,सुखद-सुहावन,मेरा घर-परिवार है।हिम्मत,ताक़त और हौंसला मेरा संसार है॥ सुख-दुख के साथी परिजन हैं,मिलकर बढ़ते जातेहर मुश्किल,बाधा,पीड़ा से,मिलकर लड़ते जाते हैं।मात-पिता,बहना-भाई से,खुशियों…

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हरा-भरा इक गाँव

सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’मुम्बई(महाराष्ट्र)********************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… जैसे सिमट गए जंगल,वैसे ही अपने परिवार।गला घोंटकर रिश्तों का,कर रहे कौन उपकार। किया निरंतर जंगल छोटा,सहनी पड़ी है रे मार।इसी तरह परिवार का,कभी…

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कल्पवृक्ष का हर कोई अभिन्न अंग

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) *************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… बाबा की बेवक्त गूंजती खांसी,अम्मा का तड़के तड़के सामान टटोलना।बाबू जी की ठहाकों वाली हँसी,माँ का दिनभर रसोई में डब्बे खंगालना। ए-जी…

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घर-परिवार से मिलती इक पहचान

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष...... रचना शिल्प-१३/१३सबको जीवन में खुशी,देता घर-परिवार है।बिन इसके मिलता नहीं,सपनों को आकार है॥ रहता जो परिवार में,वह पाता संस्कार है।मिट जाते दु:ख-दर्द भी,मिलता…

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नहीं मिली कोई…

डॉ.सोना सिंह इंदौर(मध्यप्रदेश)************************************** पूरी दुनिया घूमकर आया,मैं सारा जग ढूंढकर आया। नहीं मिली कोई पीपल की छाँव मेरे गाँव जैसी,नहीं मिली कोई इमली की सौगात मेरे गाँव जैसी।नहीं मिली नीम की…

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प्रकृति प्यारी-सी गुलनार

सुदामा दुबे सीहोर(मध्यप्रदेश) ******************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… हरी-भरी सी चुनर ओढ़े प्रकृति प्यारी-सी गुलनार,सजा हुआ नाना रत्नों से इसका सुंदर वन परिवार। शांत वेष में सरिता रानी बहती इसके आँगन में,मतवारे…

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जीने का मकसद

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** हर किसी को नहीं मिलता,सच्चे अच्छे लोगों का साथये दुनिया बड़ी जालिम है,जो किसी को नहीं छोड़तीकिए अच्छे कर्म तुमने तो,उसके अच्छे फल मिलेंगेजिंदगी के सफर में…

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