जज़्बातों की राख से…

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** मन की खामोशी में इक तूफ़ान पलता है,शब्दों की झिलमिल में भावों का जंगल जलता हैविवेक का दीपक बुझता है जब,अंतर का अंधकार स्वयं को निगलता है। स्मृतियों की परतों में एक चेहरा अनलिखा,मौन की चादर में लिपटा, समय से भी पुरानावो क्षण-जिसने हृदय की नसों में राग भरा,अब केवल प्रतिध्वनि है-सूनी, … Read more

२२६वीं कल्पकथा काव्य संध्या हुई भक्ति प्रसंगों से सुवासित

सोनीपत (हरियाणा)। राष्ट्र प्रथम, हिन्दी भाषा, सनातन संस्कृति एवं सद साहित्य की सेवा हेतु कृत संकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था परिवार की साप्ताहिक आभासी काव्य गोष्ठी पौराणिक भक्ति प्रसंगों पर आधारित काव्य रचनाओं से सुवासित होती रही। इसकी अध्यक्षता वाराणसी के प्रबुद्ध साहित्यकार पं. अवधेश प्रसाद मिश्र ‘मधुप’ ने की। विद्वान कवयित्री मेघा अग्रवाल (नागपुर) का … Read more

संवेदना की सशक्त आवाज है सविता राज की कविताएं

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पटना (बिहार)। आजकल कविता के नाम पर गद्य को पदय घोषित करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ती जा रही है। काव्य-बिम्बों का लोप होता जा रहा है और कविता का रस कईबार शुष्कता में बदल जाता है, लेकिन इसी दौर में कुछ नई प्रतिभाएँ अपनी मौलिकता और संवेदनात्मक कारीगरी के साथ कविता में काव्यत्व की … Read more

सबकी सुनते श्री बालाजी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** संवर जाता है,श्री बालाजी का मंदिरपुष्प की माला अर्पण से,पूजन सेभजन से,कथा श्रवण सेजब भक्ति भाव रमा हो मन में। नारियल, दीपक और अर्जीलगते जैसे वाहक हों श्री बालाजी केमन महकता,निखरता जाएजब लगी हो लगन श्री बालाजी से। अर्जी सुनी जाती,श्री बागेश्वर धाम मेंसमस्याओं को श्री बालाजी केचरणों में रख कर,विश्वास … Read more

अमिट पहचान बनाएँ

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ********************************************* चलो चलें पहचान बनाएँ,अपने लिए जीते हैं सभीदूसरों के हितों को सोंच,मानवता के वृक्ष लगाएँ। संसार में आते हैं असंख्य लोग,संसार से जाते हैं असंख्य लोगअपने लिए ही तो जीते हैं सभी,बिरले बनाते पहचान कभी-कभी। त्यागें संसार से जाने का डर,त्यागें स्वार्थ में जीने का घरमानव को मानव से जोड़ … Read more

बच्चों की मानसिक ऊर्जा बढ़ाती हैं बाल कविताएँ

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पटना (बिहार)। बाल साहित्य बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है, जो उन्हें जीवन के अनेक पहलुओं से परिचत कराता है, और व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक होता है। बाल कविता लिखना चुनौती पूर्ण कार्य है।भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में बाल साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए यह विचार लेखिका सुधा पांडेय … Read more

पाई-पाई जोड़कर…

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* पाई-पाई जोड़कर जीवन की गाड़ी चलती,माता-पिता की मुट्ठी में देखो घर की दुनिया पलतीबचपन की मासूम ख्वाहिशें सपना बन मुस्कातीं,कभी किताबें, कभी खिलौने,कभी नए कपड़ों को नजरें ललचाती। पाई-पाई जोड़कर सपनों की बुनियाद रखी,अरमानों को ताक पर रख, घर की गाथा लिखीबच्चों को भरपेट खिलाकर माँ-बाप ने निवाला खाया,अपनी मेहनत के पसीने … Read more

हँसते जख्म

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** ‘कोरोना’ काल में अच्छे-अच्छे लोगों की नौकरी छूट गई थी। मकान का किराया तक नहीं दे पा रहे थे, तो मकान मालिक ने खाली करने के लिए कह दिया। कई लड़के एक ही गाँव के रहने वाले थे। आपस में फैसला किया कि अपने गाँव में रहकर ही कुछ करेंगे। अपनी योग्यता … Read more

डिलीवरी ब्वाय का दर्द

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ महानगर तो महानगर, अब तो छोटे शहरों में भी सड़कों पर एक नए तरह की भीड़ दिखाई पड़ती है, जो अपने सिर पर हेलमेट में अपने भविष्य के सपने छिपाए अपनी पीठ पर समान का बैग लादे हुए, मोबाइल स्क्रीन पर नजरें गड़ाए हुए अपने जीवन की उम्मीद लिए हुए भागते चले … Read more

सबका ही अच्छा करो

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* सबका ही अच्छा करो, बुरा न सोचो अन्य।बढ़ो सदा पुरुषार्थ पथ, परमारथ गुण क्षम्य॥ लोभ क्षोभ मद कोप फँस, करे बुरा अविराम।नींद कलह हिंसा व्यसन, निरत दुखी बदनाम॥ करो नहींं विश्वास तुम, कही बात मुख अन्य।सुनी बात की जाँच हो, वरना पाप जघन्य॥ गन्दी बातें जो सुनी, फँसो नहीं … Read more