बहुत देर कर दी तूने

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* तेरी चाहतें तेरी हसरतें,सभी मिटा दी हमनेअब कोई शिकवानहीं अब तुमसे,रिश्ता नहीं। तुम और तुम्हारे इश्क,दोनों मतलब के होकभी पास बुलाते,हो तुम कभीदूर जाते हो। बेपनाह…

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जरूरी है त्रासद सड़कों से सुरक्षा

ललित गर्गदिल्ली ************************************** भारत का सड़क यातायात तमाम विकास की उपलब्धियों एवं प्रयत्नों के असुरक्षित एवं जानलेवा बना हुआ है,सुविधा की खूनी एवं हादसे की सड़कें नित-नई त्रासदियों की गवाह…

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ठिठुरती सुबह

डॉ.शैल चन्द्राधमतरी(छत्तीसगढ़)**************************************** दिसम्बर का आखिरी सप्ताह था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी।शीत लहर के प्रकोप से पूरे शहरवासी कांप रहे थे,फिर भी कहीं क्रिसमस तो,कहीं नए वर्ष का उत्साह…

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अब हल निकलना चाहिए

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* खेत के कानून का अब हल निकलना चाहिए।टहनियां तोड़े बिना ही फल निकलना चाहिए। राजधानी घिर चुकी अलगाव के अंगार में,आग का करने शमन दमकल निकलना…

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हम तुम्हारे हो गए

सुधा श्रीवास्तव 'पीयूषी'प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)************************* काव्य संग्रह हम और तुम से एक दिन देखा तुम्हें बस हम तुम्हारे हो गए,देखकर मौजों को भी तेरे सहारे हो गए। देखकर तन्हा जमाना ऐसे…

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अक्स

संध्या बक्शीजयपुर(राजस्थान)******************************** काव्य संग्रह हम और तुम से आज फिर मुझकोअक्स दिखा तुम्हाराफ़लक पर।कि जैसे,श्रृंगार पटल पर,तुमने,चिपका दी हो बिंदियाऔर,कंगन के स्टैण्ड पर,गैर इरादतन,भूल गईंवो सच्चे मोतियों की माला।सुरमई आँखों…

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हम-तुम

शिवानी शुक्ला 'श्रद्धा'जौनपुर(उत्तरप्रदेश)*********************** काव्य संग्रह हम और तुम से हम-तुम एक दिल एक जान हैंअब बाकी ना कुछ अरमान हैं,एक-दूजे बिन हम कुछ भी नहीं,अब यही हमारी पहचान है। मेरे…

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प्रेम

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)*********************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से एक प्रश्न से जिन्दगी,में आया बदलाव।जिसके उत्तर से मेरा,उससे हुआ जुड़ावllउससे हुआ जुड़ाव,नाम पूछा,बतलाया।देखा उसका चित्र,उसे फिर भूल न पायाllहृदय…

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तुमसे दूर

सवि शर्मादेहरादून(उत्तराखण्ड)**************************** काव्य संग्रह हम और तुम से तुम्हारी ठोकरों से टूट गए थे दिल की वीणा के तार,झनझना कर बिखरे थे पाँव की पायल के मोती जो टूटतेआशा बिंदु…

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देव समर्पण

सोनिया शर्मा 'सूर्यप्रभा'दिल्ली******************************************* काव्य संग्रह हम और तुम से प्रेम का महोत्सवजब वह रच रही होती है,उसमें तन कहीं नहीं होताबस होता है ऊर्जावान मन,और एक प्रखर ज्योतिजो प्रज्वलित होती…

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