हम तुम
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** तुम्हारी हथेलियों में मेरा हाथ होता है,सुनहरी रात और दिन रुपहला होता है। जाने क्या-क्या एहसास,कैसा आभास होता है,आँखों में भर आते सपने,चैन तो कहीं जा सोता है।…
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** तुम्हारी हथेलियों में मेरा हाथ होता है,सुनहरी रात और दिन रुपहला होता है। जाने क्या-क्या एहसास,कैसा आभास होता है,आँखों में भर आते सपने,चैन तो कहीं जा सोता है।…
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)******************************************* रचना शिल्प: मात्रा भार १६/१४ जीवनभर जो गूंजे ऐसा,मधुरिम राग सुनाओ ना।हाथ छुड़ाकर कहाँ चल दिये,दो पल साथ निभाओ ना॥ निश्चित है जाना ये…
संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** राम को जपो,श्याम को जपो,जपो ब्रहमा विष्णु महेश कोपर मत छीनो लोगों से,तुम उनके अधिकारों को।राष्ट्र चरित्र का तुम सब,कब करोगे निर्माण ?बहुत हुआ खेल अब,जाति-धर्म का…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** नव प्रभात का नवल सूर्य है,आओ अर्घ्य चढ़ाएं हमपावन पर्व मकर संक्रांति,मिल-जुल आज मनाएं हम। खेतों में फसलें फूटी हैं,बागों में हैं फूल खिलेसर्द बसंती संधि…
इंदौर(मप्र) स्वच्छ इंदौर के छवि दूत डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी को हैदराबाद स्थित भारत सरकार के एनजीआरआई शोध संस्थान (तेलंगाना) में बतौर कवि आमंत्रित किया गया। 'अंतरराष्ट्रीय हिन्दी दिवस' के…
कंचन कृष्णा मौर्यामुंबई(महाराष्ट्र)************************** मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। इसे पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। जैसे-तमिलनाडु में इसे पोंगल नाम से,कर्नाटक-केरल…
कटक (ओडिशा)। प्रसिद्ध लेखिका और शिक्षक श्रीमती आकांक्षा चचरा 'रुपा' और श्रीमती जानकी झा श्रेष्ठ को हिन्दी लेखन के लिए सम्मानित किया गया है। लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी साहित्य की…
अश्मित कौरकटक(ओडिशा)*************************** खट्टी-मीठी होती तकरार,करता ढेर सारा प्यारमेरा भाई,मेरा भाई,खुशियों का पहरेदार।पल में रुलाए,पल में हँसाए,गुस्से से आँख दिखाए,बाबा-माँ की फटकार से बचाएहर पल साथ निभाए।रक्षाबंधन की डोर से बंध,कच्चे…
ज्योतिर्मय खटुआ कटक(ओडिशा)***************************** नन्हे से कदमों से आए,नन्हीं अंगुलियों को मिलाममता भरा ज्ञानवर्धक स्पर्श,तराश रहे सतत भविष्य।लक्ष्य की उड़ान की ओर,खामियों को भुला करबढ़ा रहे सतत नभ की ओर,दिए कल्पनाओं…
शिवनाथ सिंहलखनऊ(उत्तर प्रदेश)**************************************** इस समय निशा बहुत बेचैन थी। अंकुर और उसका घर निशा की आँखों के सामने घूम रहे थे। निशा ने अपनी अलमारी से काली जीन्स के साथ…