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बड़ा कठिन है…

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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घोर विसंगतियों में हमको,
अब मुस्काना बड़ा कठिन है।
षड्यंत्रों के चक्रव्यूह से,
मार्ग बनाना बड़ा कठिन है॥

तथ्यहीन अफवाहों का कुछ,
दौर इस तरह निकल पड़ा है।
मानो ज्वालामुखी उबलकर,
गली-गली में फूट पड़ा है।
किस-किसको किस तरह कौन,क्या,
क्या-क्या लोग नहीं कहते हैं ?
पर सत राह पकड़ने वाले,
पथ से विमुख नहीं चलते हैं।

तर्कों के इस भँवर जाल से,
सच निकालना बड़ा कठिन है।
षड्यंत्रों के चक्रव्यूह से,
मार्ग बनाना बड़ा कठिन है…॥

अपने वतन में,अपनों से ही,
अपनी बात नहीं कह पाते।
अपनों का अपनापन देखो,
अपने घर मे सेंध लगाते।
काश्मीर,केरल,त्रिपुरा में,
ध्वज विदेश के लहराते हैं।
रहते-खाते भारत में पर,
विदेशियों के गुण गाते हैं।

आस्तीन के इन साँपों से,
बच पाना भी बड़ा कठिन है।
षड्यंत्रों के चक्रव्यूह से,
मार्ग बनाना बड़ा कठिन है…॥

दृष्टि जहां पर हमने डाली,
वही गली वीरान दिख रही।
कहीं खंडहर,कहीं मरुस्थल,
आम गली सुनसान दिख रही।
संप्रदाय का जहर कहीं,
आक्रोश निराशा का दिखता है।
असह बुढ़ापा,घायल यौवन,
मंगल-घट,खाली दिखता है।

ऐसी विकट परिस्थितियों में,
जी बहलाना बड़ा कठिन है।
षड्यंत्रों के चक्रव्यूह से,
मार्ग बनाना बड़ा कठिन है…॥

उग्रवाद,आतंकवाद ने,
उत्तर,पूर्वांचल बिखराया।
झारखंड,आंध्रा,छत्तीसगढ़,
नक्सल की चपेट में आया।
देशद्रोह की चिंगारी से,
असम जला,बंगाल जल रहा।
उल्टे-सीधे कानूनों से,
सारा हिन्दुस्तान जल रहा।

ऐसे मातृ-घातियों को अब,
समझाना भी बड़ा कठिन है।
षड्यंत्रों के चक्रव्यूह से,
मार्ग बनाना बड़ा कठिन है…॥

एक बार इस दानवता से,
पुनः मनुजता अकुलायी है।
जगह-जगह दु:शासन फैले,
द्रोपदियाँ भी घबराई हैं।
अर्जुन भी दिखते हैं लेकिन,
विमुख हुए हैं कर्तव्यों से।
नहीं भान है उन्हें समय की,
मांगों से या मंतव्यों से।

कर्म योग हित फिर गीता का,
ज्ञान सुनाना बड़ा कठिन है।
षड्यंत्रों के चक्रव्यूह से,
मार्ग बनाना बड़ा कठिन है…॥

वोट बैंक की कुटिल चाल से,
जकड़ा लोकतंत्र है सारा।
आडम्बर के चमत्कार से,
दूषित सारा कर्म हमारा।
उठो देश-दुनिया की सारी,
गरिमा तुम्हें बढ़ानी है अब।
अंगारों पर चढ़ी राख की,
परतें तुम्हें हटानी है अब।

नहीं जगे तो फिर अपनी,
पहचान बचाना बड़ा कठिन है।
षड्यंत्रों के चक्रव्यूह से,
मार्ग बनाना बड़ा कठिन है…॥

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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