ये कैसा जहां
डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’दतिया (मध्यप्रदेश)********************************************************** जिधर देखता हूँ, धुआं ही धुआं है।छिपी है सच्चाई, ये कैसा जहां है। न खुशबू,न भंवरे, न इठलाती कलियाँ,न दिखती है तितली, दुखी बागवाँ है।…