डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में,
सनातन हिन्दू धर्म का पर्व ये आया
नवरात्र में देवी माँ की अराधना और पूजा से आरम्भ,
हिन्दू नववर्ष के आगमन पर उमंग-उत्साह चारों ओर है छाया।
भारत भूमि की पुण्य धरा पर,
हे जग जननी कोटि-कोटि अभिनन्दन
आओ हम सब मिलकर करें वन्दन,
कीर्ति-यश और सुख फैले हर ओर जैसे चंदन।
नई किरण और नई फसल की पौध लिए,
मंदिर और देवालय में ज्योति कलश जलाएं
नए संकल्प, नई आशा से ओत-प्रोत होकर,
नौ दिन करें हम माँ का नित्य नवीन श्रृंगार।
करो माँ तुम इस जग में हर उर को उजियारा,
नववर्ष में भर दो झोली प्रीत, सौहार्द और भाईचारा
भक्तिरस में लीन होकर करें माँ की हर दिन आरती,
नववर्ष लेकर आए मंगलमय शुभकामनाएं भारती।
किसी प्रांत में गुड़ी पड़वा, किसी में चेट्रीचंड,
कहीं ये विशु, कहीं ये उगादी कहलाता
सजिबु नोंगमा पर्व, या पोईला बोईशाख,
बैसाखी की धूम मची या फिर पुथान्डू वाडथूकल।
पर्व एक है नववर्ष, पर उसके रूप अनेक,
हर ओर उल्लास से मनाया जाता।
अनेकता में एकता का संदेश हमें ये दे जाता,
हिन्दू धर्म के वैभव को पूरे संसार में फैलाता॥