कुल पृष्ठ दर्शन : 589

You are currently viewing आज़ादी के मतवाले

आज़ादी के मतवाले

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

*************************************************

जय सरदार भगत हूंकार जगत,
आज़ादी के मतवाले शत्रुञ्जय
जब सिंहनाद सुन भगत सिंह प्रवर,
घबरा थर्राया शत्रु भीत पड़े।

हे शौर्यपुत्र माँ भारत प्रणाम,
जय भक्त राष्ट्र भाल तिलक ललाम
बन अंग्रेज दमन विकराल काल,
काकोरी विध्वंसक तुझे नमन करें।

रग-रग आप्लापित जयगान वतन,
लाला लाज चन्द्र सुखदेव रतन
नव इतिहास वीर रणबाँकुर रण,
भारती चरण कमल बलिदान करे।

सादर अभिवादन धीर-वीर भगत,
शत नमन साहसी गंभीर प्रबल
आत्मबली सुयश शूरवीर भारत,
क्रान्तिदूत आज़ादी जन नमन करे।

जय महावीर सिंह तन-मन अर्पित,
वन्दे मातरं भक्ति शक्ति गुंजित
दहशत में गोरे रूहें कम्पित,
भगत मुदित फाँसी गलहार बने।

हे सरदार शौर्य सरताज प्रखर,
पा वीरगति राष्ट्र हिमराज शिखर।
जयकार भगत-ए-आज़म शहीद,
हम जन-मन भारत तव नमन करे॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

Leave a Reply