घर-घर चहके
सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* दीप जलें, मन महके… लिपे-पुते घर के अंगना मेंनन्हें बच्चों के झुंड चहके,दीपावली की स्याह रात मेंदीप जले और मन महके। रंगोली के चटक रंगों सेसबके घर के द्वार सजे,गेंदा, गुलाब की खुशबू सेमन महके और दीप जले। छूटी फुलझड़ियाँ गलियों मेंचकरी झर-झर घूम रही,दरवाजे की ओट से बहुएंघुँघटा ओढ़े झांक … Read more