चुनाव:मूल्यों की स्थापना का दौर हो
ललित गर्ग दिल्ली************************************** लोकसभा चुनावों की सरगर्मियां उग्र से उग्रतर होती जा रही है। पहली बार भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा बन रहा है, कुछ भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर रहे हैं…
ललित गर्ग दिल्ली************************************** लोकसभा चुनावों की सरगर्मियां उग्र से उग्रतर होती जा रही है। पहली बार भ्रष्टाचार चुनावी मुद्दा बन रहा है, कुछ भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर रहे हैं…
रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** कभी अकस्मात्,निष्प्राण हो जाएगीमेरी देह!एक दीर्घ नि:श्वास लेकर,स्थान बदल लेंगे सपनेबस दिखावा करतेमिलेंगे,कुछ विषैले 'अपने!' उन तथाकथित अपनों के संग,न करना मुझे निर्वस्त्रन छूने देना उन्हें,मेरा…
पटना (बिहार)। साहित्य की सबसे कठिन विधा है 'व्यंग्य'! इसे साधना सरल नहीं है। इसे फूहड़ता से बचाना और साहित्य के लालित्य के साथ परोसना एक बड़ी कला है, जिसे…
कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* प्रकृति का सौंदर्य कितना पावन,कितना मनभावनचहुं दिशा में ऊंचे-ऊंचे पर्वत, घनघोर घटाएं उसके ऊपर। हरित वर्ण छाया पर्वत पर, घटाएं आई उमड़-घुमड़ करजब चली पवन मतवाली,…
विमोचन.... इंदौर (मप्र)। स्मृति की कविताओं में मिले-जुले रंग हैं…भावनाएं हैं और रिश्ते को जी लेने का अहसास है। बिम्ब बेहद प्रभावी हैं। पंचतत्वों के सारे तत्वों का जिस तरह…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* शुक्ला चैत्री प्रतिपदा, सनातनी त्यौहार।नव दुर्गा आराधना, कीर्ति मिले सुख सार॥ अभिनन्दन स्वागत करें, नूतन हिन्दू वर्ष।पावन नित नवरात्रि में, मानवता उत्कर्ष॥ पूजनार्थ नवरात्र…
हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** इंसानों की इन बस्तियों में,है बे इंसानियत कैसे आ गई ?इंसानियत खो गई आसमां में, या धरती उसे है खा गई ? कुछ तो होगा जवाब…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* हर वक्त धन की पिपासा में लीन,क्या सच में उपयोग कर पाएगालालच, लोभ की मृगतृष्णा में फंस कर,क्या जीवन व्यर्थ गंवाएगा ? खुद को स्थापित करके,कुछ…
-अन्य हिन्दीसेवियों को भी मिला सम्मान जबलपुर (मप्र)। प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा हिंदी प्रचार- प्रसार के साथ विभिन्न क्षेत्रों में प्रेरणादायक कार्य कर रहे पत्रकार, कलमकार व समाजसेवियों को भी…
ज्योति नरेन्द्र शास्त्रीअलवर (राजस्थान)************************************************* बिना मांगे भी चुपके से,एक और रोटी मेरी थाली में सरका देती हैवो मेरी माँ है जनाब,अपने हिस्से का खाना मुझे खिला देती है। पढ़ी-लिखी नहीं…