भर दे झोली

मीरा सिंह ‘मीरा’बक्सर (बिहार)******************************* भर दे झोली खाली,सब सुख देने वालीमहिमा बहुत निराली,जय माँ शेरावाली। शत-शत शीश नवाते,गुण तेरा सब गातेमहिमा तेरी न्यारी,कहते नहीं अघाते। करती जग रखवाली,जग तेरी फुलवारी।तेरी…

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प्रेम जनमेजय की २ पुस्तकें लोकार्पित

दिल्ली। वर्तमान समय के अग्रणी पंक्ति के साहित्यकार और सम्पादक प्रेम जनमेजय के ७५वें जन्मदिन के अवसर पर स्वतंत्र प्रकाशन समूह ने २ पुस्तकों का प्रकाशन किया है। आपके अमृत…

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परिषद की कवि गोष्ठी में बही फागुनी बयार

मुजफ्फरपुर (उप्र)। शहर के श्री नवयुवक समिति के सभागार में नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि गोष्ठी में जमकर फागुनी बयार बहती रही। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. देवव्रत…

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नव वर्ष है, क्या हर्ष है

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* नव वर्ष है, क्या हर्ष है,चारों ओर पावन परिवेश है। नई फसल लहलहा उठी,धन-धान्य से धरती झूम उठी। मिल सके सबको पेट भर अन्न,सहयोग गर करें…

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कर हौंसला बुलंद

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** उठ! कर हौंसला बुलंद,तूफानों से अब क्या घबराना ?जीवन में कुछ ऐसा कर,कि याद करे तुझे ज़माना। मंजिल चाहे दूर ही सही,जन-जन को है तुझे जगानाछल-कपट से…

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उसूल

डॉ. बालकृष्ण महाजननागपुर ( महाराष्ट्र)*********************************** जब उसूल सेबड़े ख्वाब होते हैं,तब व्यक्ति अधिकदुःखी होता है। ज़िंदगी में कभीउसूल ही ना हों तो,वह नीरस हो जाती है,'तब किसी केउसूल स्वार्थी हों,किसी…

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नया वर्ष आया, खुशियाॅं लाया

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:१६-१४ के क्रम में ४ चरण प्रति छंद में कुल ३० मात्राएं, अनिवार्य रूप से चरणान्त में 'मगण (sss) ३ गुरु वर्ण (२२२) का प्रयोग।…

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स्वर्ग -नर्क कहाँ है

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** स्वर्ग कहाँ है कौन जानता, कहाँ रहे है नर्क।मानव सत से रहे परे अरु, व्यर्थ लगाता तर्क॥ कौन भला मृत देह बाद में, लौटा वापस आज।नर्क-स्वर्ग…

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काश्वी

ज्योति नरेन्द्र शास्त्रीअलवर (राजस्थान)************************************************* आज राम अपना सब-कुछ गंवा चुका था। ऑफिस, खेत यहाँ तक कि, घर तक को भी बेचने की नौबत आ चुकी थी। अपने हाथों को माथे…

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मत हो निराश

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** मत हो निराश तू,सर्वत्र दु:ख का ताना-बाना हैभरोसा रख ईश्वर पर तू,सोच अवश्य कोई ठिकाना है। माना परिस्थितियाँ है विपरीत,पर रहना है सत्कर्म पर समर्पितवर्तमान…

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