जीवन सच की राह चलाना सीखें

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** हम अपना ये जीवन सारा सच की राह चलाना सीखें।झूठ कपट अरु लोभ मोह को मन से दूर हटाना सीखें॥ राह चलेंगे जब नेकी की जीवन निर्मल हो पायेगा,संगति सत् की करने से ही तन मन पावन हो जायेगा।औरों का दु:ख अपना समझें काम सभी के आना सीखें,हम अपना ये जीवन…॥ … Read more

धन ऋण का जीवन जीती हूँ

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ मैं तो एक आपबीती हूँ,मेरी कोई राह न मंजिलधन ऋण का जीवन जीती हूँ। मैं हूँ एक मूलधन विधि का,विश्व बैंक में जमा आज हूँकुछ अनुभव प्रति क्षण की दर से,स्वयं दिलाती उसे ब्याज हूँ।एक भविष्य सदा है आगे,एक अतीत अभी बीती हूँ। मैं हूँ पूंजी ऐसी जग में,आगे बढ़ती पीछे घटतीएक तरफ … Read more

माँ की ममता

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) … मन के गहरे अंधियारे में ज्योति सम तुम जलती हो।त्याग, तपस्या और समर्पण की गाथाएं कहती हो॥ संतों की वाणी से अनुपम माँ की मीठी बातें हैं,आशीषों की छाँव तले ही कटती सारी राते हैं।जीवन का श्रृंगार तुम्हीं हो, गीतों में तुम ढलती हो,मन के … Read more

जियो और जीने दो

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* ‘जियो और जीने दो’ में ही,जीवन का सम्मान है।सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है॥ वक़्त कह रहा है हमसे,नैतिकता भी करे पुकारजागो भाई कुछ अब तो,करो न मानवता शर्मसार।प्रेम,नेह,करुणा से ही तो,मानव बने महान है,सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है॥ दीन-दुखी के अश्रु पोंछकर,जो देता है … Read more

नदियाँ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* नदियाँ बहती जगत के हित में,सबको नीर दें।खेत सींचती,मंगल करती,सबकी पीर लें॥ सरिता अपना धर्म निभातीं,बहती ही रहें,कोई कितना कर दे मैला,सहती ही रहें।हर नदिया गंगा-सी पावन,इतना जान लो,हर नदिया पूजित,मनभावन,यह तो मान लो॥ नदियाँ सबकी प्यास बुझातीं, सबकी पीर लें।नदियाँ बहतीं जगत के हित में, सबको नीर दें॥ नदियाँ … Read more

ज़िन्दगी की ख़ातिर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* जिंदगी की खातिर (मजदूर दिवस विशेष)….. श्रम करने वालों के आगे,गहन तिमिर हारा है।श्रम करने वालों के कारण,ही तो उजियारा है॥ खेत और खलिहानों में जो,राष्ट्रप्रगति के वाहक हैंअन्न उगाते,स्वेद बहाते,जो सचमुच फलदायक हैंश्रम के आगे सभी पराजित,श्रम का जयकारा है।श्रम करने वालों के कारण,ही तो उजियारा है…॥ सड़कों,पाँतों,जलयानों को,जिनने … Read more

उम्रभर जगत में…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* जिंदगी की खातिर (मजदूर दिवस विशेष)….. उम्रभर जगत में भटकते,जिन्दगी की खातिर तरसते।जिन्दगी न मिलती कभी पर,साँस-साँस जीने को मरते॥ ऐ खुदा बता दे कभी तो,किस तरह का जीवन दिया है।देन ये अगर है तेरी तो,फासला ये क्यूं कर किया है।एक से तो खुशियाँ न सँभलें,और एक खुशियों को … Read more

हिंदुस्तान हमारा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* गंगा-यमुना-सी नदियों की,बहे जहाँ शुचि धारा।वन,उपवन,हिमगिरि से शोभित,हिन्दुस्तान हमारा॥ होली-दीवाली मनती है,जहाँ खुशी के मेले,जहाँ तीज-त्यौहार सभी ही,सचमुच हैं अलबेले।ईदों में हिन्दू शामिल हैं,मुस्लिम नवरातों में,हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,उल्लासों के रेले॥रातें उजली होतीं जहँ पर,दूर भगे अँधियारा,वन,उपवन,हिमगिरि से शोभित,हिन्दुस्तान हमारा…॥ ताजमहल में भाव भरे हैं,मीनारों में गुरुता,धर्म सिखाता है हम सबको,विनत भाव अरु … Read more

इसमें राम रमा है

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ पृथ्वी दिवस विशेष…. मत इसका परिचय पूछो तुम,यह तो धरती माँ है।तन से सुदृढ़ सुकोमल मन से,ममता की प्रतिमा है॥ आँधी पानी ओले झेले,बारूदी गोलों से खेलेकोई भी आ जाय बवंडर,हर संकट से पंगा लेले।पालन पोषण करती जग का,बड़ी अजब महिमा है। सूरज आता इसे तपाने,चंदा शीतलता दर्शानेनीर बरस कर फसल उगाता,वायु विचरता … Read more

कवि की कविता

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** उठती है मन से जो पीड़ा,घायल मन को तड़पाती है।निसृत होते जो भाव वही,प्यारी कविता बन जाती है॥ कवि जब भी पीड़ित होता है,तन्हा खुद को कर लेता हैसाँसों में बसी हुई कविताउसको श्रृंगारित करता है।मन प्राण बसे हैं कविता में,कविता जीवन की थाती है।निसृत होकर मन…॥ कहता है उसको कुसुम … Read more