दारुण जन

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** दारुण जन के पीर पर, सदा लगाए मर्म।मानवता की राह पर, श्रेष्ठ यही है धर्म॥श्रेष्ठ यही है धर्म, हृदय से सोचें उत्तम।दु:ख पीड़ा को देख, लगावें मिल-जुल मरहम॥पुण्य करें सब काज, हृदय में धारें सतगुण।मानव कभी न होय, हृदय मन से भी दारुण॥ दारुण मन से हो नहीं, हृदय भरा हो … Read more

रंगों का मोल

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** कुदरत का वरदान शुभे है, जिसको कहते रंग।अन्तर्मन को शोभित करती, लाती सदा उमंग॥ अट्ठारह इकसठ में जानें, मैक्सवेल की खोज।शुभ वर्णों की बारीकी, खोजा उसने रोज॥ श्वेत-श्याम बस रंग प्रथम थे, नित्य रंगते चित्र।वर्तमान में रंग अलौकिक, अब ये जीवन मित्र॥ मोनोक्रोम प्रथम था पहले, बढ़ी रंग पहचान।मूल रंग दुनिया … Read more

जनहित ध्येय हो

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** सच्चा मानुष है वही, सबको समझे एक।देश के उत्थान में, कर्म करे वह नेक॥कर्म करे वह, नेक देशहित, फर्ज निभाए।दीन-दुखी के, कष्ट हरे नित, समता लाए॥‘आशा’ कहती, जनहित गाए, बच्चा बच्चा।कभी न हारे, निडर मनुज ही, होता सच्चा॥ लेखन शैली नेक हो, जनहित की हो चाह।कवि की रचना ज्ञान दे, ऐसी … Read more

नया वर्ष आया, खुशियाॅं लाया

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:१६-१४ के क्रम में ४ चरण प्रति छंद में कुल ३० मात्राएं, अनिवार्य रूप से चरणान्त में ‘मगण (sss) ३ गुरु वर्ण (२२२) का प्रयोग। नया वर्ष भारत का आया।खुशियाॅं साथ सजा लाया॥पर्व गुड़ी पड़वा ये भाया।इसका सुख सबने पाया॥ आओ गीत खुशी के गाएं।गीतों से खुशियाॅं पाएं॥साथ सभी के … Read more

स्वर्ग -नर्क कहाँ है

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** स्वर्ग कहाँ है कौन जानता, कहाँ रहे है नर्क।मानव सत से रहे परे अरु, व्यर्थ लगाता तर्क॥ कौन भला मृत देह बाद में, लौटा वापस आज।नर्क-स्वर्ग की कहे कहानी, खोला जिसने राज॥ स्वर्ग लोक की बात बताए, कैसा रहता हाल।नर्क लोक में क्या-क्या होता, कौन बताए चाल॥ कैसा है यमराज लोक … Read more

रंग… मिलन

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** होली विशेष…. ‘होली’,मन मस्तीरंग की तरंग,मिलन बहानाखुशी। संस्कृति,सिखाती सबकोमिलकर पर्व मनाएँ,घुल जाएँरंग। सौहार्द,है त्यौहारस्नेह का उजाला,रहना सदामस्त। जीवन,बड़ा कठिनरंगीन होना पड़ेगा,उल्लास जरूरीमनोरंजन। उत्सव,जीवन रंगआनंद नहीं तो,सब फीकाबेरंग। खिलखिलाहट,चाहिए हमेंरंग है प्रतीक,जोड़ते हमेंमन। सद्भावना,बढ़ाते रंगइन बिन नीरसता,होती सदाजंग। होली,पर्व उल्लासकरें कामना हम,बिखरे सदाप्रसन्नता। होली,मतलब पवित्रताहर रंग अनूठा,देता सीखमिलन। परम्पराएँ,हमारी विरासतइनको सहेजना है,रंग जैसेअनूठे॥

शिव जी सदा जग पालक

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जय देव सदा जग-पालक हैं।हम तो शिवजी! बस याचक हैं॥करना करुणा नहिं लायक हैं।हम तो शिवजी! गुण गायक हैं॥ प्रभुजी शिव! के हम दास सदा।हम तो चरणों पर ख़ास सदा॥हम रंग रँगे उर वास सदा।शिवजी! हमको अहसास सदा॥ शिव जी! तुम तो ममतामय हो।शिव जी! तुम तो गति औ’ लय हो॥शिव … Read more

स्वस्थ देहयुक्त योग

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** हे मानव नित भोर भये सब, कर लें योग।कभी देह को नहीं धरेगा, कोई रोग॥ भिन्न-भिन्न योगा के गुण को, जानें आप।मानव नित पदचार करें तन, सहता ताप॥ संग योग फिर खान-पान का, रख लें ध्यान।नित्य भोर पर जल पीना है, हो संज्ञान॥ सुबह सैर को निसदिन जाएँ, मानें बात।शुद्ध वायु … Read more

रहते प्रभु जीवन में सबके

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:४ सगण (‘S’॥) के क्रम में कुल १२ वर्ण प्रति चरण।… कहते बनती बतियां मुझसे।तब तो कहता बतियां सबसे॥मुझसे मिलते प्रभु आ करके।रहते प्रभु जीवन में सबके॥ प्रभु से इस जीवन में खुशियाॅं।सजती रहती मन की दुनिया॥मन मुक्त हुआ उपयुक्त हुआ।सजती प्रभु से हर एक दुआ॥ जग है धन का … Read more

नवल प्रभात

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** इस विरहन का प्रीत हो, इस धड़कन की आस हो।व्याकुल निर्झर मन कहे, मेरा तुम विश्वास हो॥ अंतस मन की ज्योत तुम, तुम ही नवल प्रभात है।जीवन का उजियार तुम, तुमसे ही दिन अरु रात है॥ धड़क रहा जो नित्य ही, इस प्रियसी की श्वाँस हो।नीर नयन की धार तुम, प्रियवर … Read more