अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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होली विशेष….
‘होली’,
मन मस्ती
रंग की तरंग,
मिलन बहाना
खुशी।
संस्कृति,
सिखाती सबको
मिलकर पर्व मनाएँ,
घुल जाएँ
रंग।
सौहार्द,
है त्यौहार
स्नेह का उजाला,
रहना सदा
मस्त।
जीवन,
बड़ा कठिन
रंगीन होना पड़ेगा,
उल्लास जरूरी
मनोरंजन।
उत्सव,
जीवन रंग
आनंद नहीं तो,
सब फीका
बेरंग।
खिलखिलाहट,
चाहिए हमें
रंग है प्रतीक,
जोड़ते हमें
मन।
सद्भावना,
बढ़ाते रंग
इन बिन नीरसता,
होती सदा
जंग।
होली,
पर्व उल्लास
करें कामना हम,
बिखरे सदा
प्रसन्नता।
होली,
मतलब पवित्रता
हर रंग अनूठा,
देता सीख
मिलन।
परम्पराएँ,
हमारी विरासत
इनको सहेजना है,
रंग जैसे
अनूठे॥