ज्ञान का दर्पण

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* ज्ञान का दर्पण कर रहा, खुशियों की जयकार।नीति, सत्य अरु धर्म से, पलता है उजियार॥ ज्ञान का दर्पण चेतना, दीपक का संदेश।कितना भी सामर्थ्य पर, रहे मनुज का वेश॥ ज्ञान का दर्पण कह रहा, करना मत अभिमान।दीपक करने आ गया, आज तिमिर-अवसान॥ ज्ञान का दर्पण साधता, खुशियों का आवेश।विनत भाव से … Read more

रोम-रोम पुलकित

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* भक्ति शक्ति की मीत है, प्रीति गीत संगीत।रोम-रोम पुलकित प्रगति, भारत चहुँ नवनीत॥ देशभक्ति माला जपो, जपो कीर्ति बलिदान।राम राज्य उन्नत वतन, राम नाम यश गान॥ मर्यादित जीवन चरित, पितृभक्ति पहचान।शील त्याग करुणा क्षमा, राम चन्द्र भगवान॥ राम चरित आदर्श हो, युवा वयस आचार।शील त्याग गुण कर्म पथ,प्रगति राष्ट्र … Read more

गोवर्धन पूजा करो

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* गोवर्धन पूजा करो, गौपालक के नाम।पाओगे भाई सदा, तुम अच्छे परिणाम॥ इंद्रदेव-अभिमान हर, मोहन बने महान।सबकी की रक्षा बहुत, जय-जय दयानिधान॥ गायों के पालक प्रखर, ग्वालों के सह-मित्र।किशन-कन्हैया पूज लो, जीवन होगा इत्र॥ गोबर की प्रतिमा बने, आँगन में तो आज।फिर पूजन की रस्म हो, हर्षित होय समाज॥ अन्नकूट भी नाम … Read more

शोभित नारी श्रृंगार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नारी शोभित नित्य ही, आकर्षण भरपूर।दमके बनकर रोशनी, माँग भरा ‘सिंदूर॥’ ‘काजल’ शोभा नैन की, गहरा देता प्यार।प्रियतम को भाता बहुत, रचता है अभिसार॥ ‘कर्णफूल’ अति सोहते, करते मंगलगान।इनमें बसता प्यार का, हरदम नवल विधान॥ पहने ‘मंगलसूत्र’ जब, नारी लगती ख़ूब।सुख आते हैं पास में, उगे नेह की दूब॥ सजी कलाई … Read more

सत्य से ही इंसां बलवान..

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सत्य साधकर गति करो, तब ही बनो महान।केवल सच से ही बने, इंसाँ नित बलवान॥ सत्य चेतना को रखे, जिसमें रहे विवेक।रीति-नीति को साध ले, रखकर इच्छा नेक॥ सत्य बड़ा गुण जान ले, इसका हो विस्तार।जीवन में खिलते सुमन, बनकर के उपहार॥ सत्य सदा ही जीतता, गाता मंगल गीत।इसको हम अब … Read more

राग-द्वेष अभिमान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* दावानल जीवन बना, राग-द्वेष अभिमान।सत्ता पद सुख पा क्षणिक, समझ रहा भगवान॥ खोया निज अस्तित्व को, राग-द्वेष अभिमान।सदाचरण व्यक्तित्व खो, भटके बन शैतान॥ लोक लाज पौरुष विरत, कहाँ दिखे ईमान।कहाँ दिखे सम्वेदना, राग-द्वेष अभिमान॥ शील त्याग गुण कर्म सब, भौतिक सुख अरमान।रिश्ते नाते सब दफ़न, राग-द्वेष अभिमान॥ त्रिविध पाप … Read more

वाहे गुरु को है नमन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* वाहेगुरु को है नमन् ,सतत् झुकाता शीश।हे गुरुवर! देना हमें,सत्य और आशीष॥ प्रथम गुरू है दंडवत, विनती बारम्बार।गहन तिमिर को मारकर, फैलाना उजियार॥ ननकाना साहिब चलो, दर्शन का वरदान।वाहेगुरु की हो दया, मिले हमें सम्मान॥ जातिभेद को तोड़कर, पावन किया समाज।नानक जी करते रहें, सबके दिल पर राज॥ सारे आडंबर मिटें, … Read more

मातु अहोई वंदना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* पर्व अहोई अष्टमी, कृष्ण कार्तिकी मास।मातु अहोई वन्दना, माँ रखती उपवास॥ दीर्घायु जीवन सुखी, हो निरोग सन्तान।दया क्षमा करुणा चरित, बढ़े वंश यश मान॥ लघु से लघुतर जीव भी, रक्षणीय संसार।पीड़ा हो परवेदना, मददगार उद्धार॥ सप्तवधू सतपुत्र की, पुण्य कथानक पर्व।पुत्र हीनता दुख सहे, परहित अर्पित सर्व॥ शिशु गरुड़ … Read more

लगे सुंदरी नार

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* कंगन हाथों में सजे, लगे सुन्दरी नार।चमक रही नवयौवना, खुश करती भरतार॥ पायल पहने कामिनी, छन-छन करती चाल।हिय में उठती हूक सी, हाल करे बेहाल॥ बिंदिया सजती भाल पे,भरे माँग सिंदूर।करती सभी सुहागिनें, अलंकरण भरपूर॥ काजल आँखों में लगा, करे नैन कजरार।मृगनयनी बनके करे, आकर्षित हर नार॥ बिंदी पायल कंगना, … Read more

गिरता जाता मानव मन

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डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* गिरता जाता मन मनुज, भुला रहा कर्त्तव्य।किसको चिन्ता देश की, सबका निज मन्तव्य॥ कार्य पूर्व परिणाम को, कौन करे अब सोच।फँसा लालची कपट छल, कहाँ पाप संकोच॥ कहाँ आज अवकाश है, अध्ययन शास्त्र पुराण।धर्म न्याय बदले क्षणिक, बनते न्याय प्रमाण॥ धर्म जाति छींटाकशी, अब आदत अधिकार।बस अनर्थ स्वागत करे, … Read more