माता तीरथधाम

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* माता तो अवतार है,वह तो तीरथधाम।देती नित आशीष वह,मुझको सुबहो-शाम॥ माता है ममता,दया,करुणा का संसार।माता मिलती है हमें,बनकर इक उपहार॥ माता ईश्वर-सी लगे,माता सूरज-धूप।माता में नौ देवियाँ,माता वसुधा-रूप॥ माता से जीवन बने,मधुर,सरस,गतिशील।हर विपदा में ठोक दे,माता गहरी कील॥ माता से संगीत है,नित ही सुर,लय,ताल।माता से नित नेह पा,संतति रहे निहाल॥ … Read more

सरिता बहे जगत हित में

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* सरिता बहे जगत के हित में, सबको नीर दे।खेत सींचती,मंगल करती,सबकी पीर ले॥ सरिता अपना धर्म निभाती, बहती ही रहे।कोई कितना कर दे मैला, सहती ही रहे॥ हर सरिता गंगा-सी पावन, इतना जान लो।हर सरिता पूजित,मनभावन, यह तो मान लो॥ सरिता है भगवान की रचना, जिसमें ताप है।कितना उपकृत करती … Read more

रणबाँकुरे महाराणा प्रताप

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* भारत के इतिहास का,रक्खा जिसने मान।उस वीरों के वीर की,है सदियों पहचान॥ परम प्रतापी जो रहे,रक्खी जिनने आन।माटी के सम्मान की,वे अनुपम पहचान॥ मुग़लों से लोहा लिया,हे भारत के वीर।राजपुताना लाज का,किया सुरक्षित चीर॥ वे गौरव,रणबांकुरे,हल्टी घाटी लाल।मेवाड़ी इस वीर ने,सच में किया कमाल॥ चेतक भी तो है अमर,संग किया … Read more

माता की चिट्ठी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) … माता की चिट्ठी मिली,झंकृत उर के तार।लगता मुझको मिल गया,यह पूरा संसार॥ माता की चिट्ठी सुखद,जो लगती उपहार।माता के बस नाम से,खिल जाता उजियार॥ माता की चिट्ठी रचे,पावन इक विश्वास।माता का तो नाम भर,है नेहिल अहसास॥ चिट्ठी माँ की दे रही,मुझे असीमित प्यार।लेकर … Read more

माँ मेरी प्रेरणा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** ममता करुणा हृदय तल, स्नेह सुधा उर पान।माँ जननी धरती समा, तू जीवन वरदान॥ क्षमा दया जीवन कला, तू जीवन सुख छाँव।सुख दुख आपद रक्षिका, अश्क नैन लखि घाव॥ सहनशीलता परिधि माँ, जीती बस सन्तान।सर गम को पीती स्वयं, रखे पूत सुख मान॥ गंगा सम पावन हृदय, स्नेह सलिल … Read more

परिवर्तन होता सदा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** पल-पल चलता ही रहे, कालचक्र गतिमान।कभी रहे ना एक क्षण,अचल सृष्टि प्रतिमान॥ परिवर्तन होता सदा, प्रकृति और संसार।कभी यहाँ पतझड़ रहे, कभी वसंत बहार॥ कभी ऊष्णता ग्रीष्म की, तो सावन जलधार।कभी शीत में ठिठुरती, ठंडी शीत बयार॥ बदलेगी दुनिया जहां, होंगे यह बदलाव।सभी पुराना बीतकर, आयें नव बदलाव॥ नई सृष्टि नवचेतना, … Read more

टूटे जब विश्वास…

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* जनता का हक़ मार कर, सजवाते दरबार।सत्ता में आते नहीं, कभी दूसरी बार। जिनके ज़हनों में बसा, नफरत का शैतान।उनको कह सकते नहीं, हरगिज़ हम इन्सान। मानवता की चीख सुन, शासक रहता मौन।आग लगाकर खुश बहुत, धरती का फिरऔन। किसी व्यक्ति से चाहते, रखते जब कुछ आस।पूरा होता जब … Read more

हमारी धरोहर

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* खड़े भवन जो आज भी,कहते वे इतिहास।कला-विरासत को लिए,देते सुख-अहसास॥ दिखती जिनमें श्रेष्ठता,होता गौरव-बोध।ढूँढ़-ढूँढ़कर कर रहे,पढ़ने वाले शोध॥ कहीं महल,तो दुर्ग हैं,मंदिर-मस्जिद रूप।खंडहरों में हैं छिपी,बीते युग की धूप॥ नालंदा की भव्यता,संस्कार का नूर।विश्वगुरू हम थे प्रखर,विद्या से भरपूर॥ कितना स्वर्णिम था कभी,जानें आप,अतीत।उसने यश,गौरव रचा,गया ‘शरद’ जो बीत॥ खंडहरों … Read more

धरती माँ करुणामयी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* पृथ्वी दिवस विशेष…. धरती माता पालती,संतति हमको जान।धरती माता के लिए,बेहद है सम्मान॥ अवनि लुटाती नेह नित,करुणा का प्रतिरूप।इसकी पावन गोद में,सूरज जैसी धूप॥ वसुधा का संसार तो,बाँटे सुख हर हाल।हवा,नीर,भोजन,दुआ,पा हम मालामाल॥ धरा-गोद में बैठकर,होते सभी निहाल।मैदां,गिरि,जंगल सघन,सुख को करें बहाल॥ हरियाली के गीत नित,गाती वसुधा ख़ूब।हम सबको आनंद … Read more

किया ज्ञान का मान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* महावीर जयंती विशेष… महावीर भगवान ने,किया ज्ञान का मान।सत्य,अहिंसा बन गये,हम सबकी पहचान॥ महावीर जी चेतना,एक अटल विश्वास।महावीर जी शान थे,जन-जन की नित आस॥ महावीर जी थे प्रखर,हम सबका अभिमान।नैतिकता का कर सृजन,किया सतत् उत्थान॥ महावीर जी कर्म थे,पूरे अनुसंधान।महावीर जी धर्महित,मानवता के प्राण॥ महावीर जी ने किया,नवल एक उद्घोष।महावीर … Read more