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धरती माँ करुणामयी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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हरित हो वसुंधरा….

जीवन भर गाते सभी,वसुधा के तो गीत।
हरियाली को रोपकर,बन जाएँ सद् मीत॥

हरियाली से सब सुखद,हो जीवन अभिराम।
पेड़ों से साँसें मिलें,विकसित नव आयाम॥

धरती माता पालती,संतति हमको जान।
धरती माता के लिए,बेहद है सम्मान॥

अवनि लुटाती नेह नित,करुणा का प्रतिरूप।
इसकी पावन गोद में,सूरज जैसी धूप॥

वसुधा का संसार तो,बाँटे सुख हर हाल।
हवा,नीर,भोजन,दुआ,पा हम मालामाल॥

वसुधा जब होती हरित,तभी प्रगति-आयाम।
सचमुच में यह सृष्टि तो,है बेहद अभिराम॥

धरा-गोद में बैठकर,होते सभी निहाल।
मैदां,गिरि,जंगल सघन,सुख को करें बहाल॥

हरियाली के गीत नित,गाती वसुधा ख़ूब।
हम सबको आनंद है,बिछी हुई है दूब॥

वसुधा का सौंदर्य लख,मन में जागे आस।
अंतर में उल्लास है,नित नेहिल अहसास॥

धरती माँ करुणामयी,बनी हुई वरदान।
नित हम पर करती दया,देती है अनुदान॥

धरा आज प्रमुदित हुई,करती हम पर नाज़।
पेड़ों का रोपण किया,हुई सुखद आवाज़॥

गाती रोज़ वसुंधरा,हरियाली के गीत।
जब साँसें सबको मिलें,होगी तब ही जीत॥

वसुधा का है नेह यह,जो देती है अन्न।
वरना हम रहते सदा,भूखे और विपन्न॥

शस्य श्यामला हो धरा,तब खुशियों के गीत।
तन-मन,जीवन हों हरे,पाता मानव जीत॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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