कुल पृष्ठ दर्शन : 340

You are currently viewing नैन सदा वरदान

नैन सदा वरदान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

*******************************************

नैनों से जग देखते, नैन सदा वरदान।
नैनों में संवेदना, नैनों में अभिमान॥

नैन अगर करुणा भरे, तब नैनों में नीर।
नैनों में अभिव्यक्त हो, औरों के हित पीर॥

नैनों में गंभीरता, और कुटिलता ख़ूब।
नैनों में उगती सतत, पावन-नेहिल दूब॥

नैन, नैन से नित करें, चुपके से संवाद।
उर हो जाते उस घड़ी, सचमुच में आबाद॥

नैन सदा सच बोलते, बोलें सदा असत्य।
नैनों के आवेग में, छिपा एक आदित्य॥

नैनों में रिश्ता दिखे, नैनों में अहसास।
नैनों में ही आस हो, नैनों में विश्वास॥

नैनों में संवेदना, नैनों में अनुबंध।
नैन-नैन में नित बनें, नित नूतन संबंध॥

नैनों से ही क्रूरता, नैनों से अनुराग।
नैनों से अपनत्व के, गुंजित होते राग॥

नैन कभी जब दर्द के, गाते हैं मधु गीत।
अश्रु झलकते, तब रचें, शोक भरा संगीत॥

नैन गढ़ें नित मान को, नैनों में अपमान।
की भाषा पढ़े, वह नर बहुत सुजान॥

नैनों में छिपकर रहें, जाने कितने राज़।
नैन अगर हैं ज्योति बिन, तो नर बिन सुर,साज़॥

नैनों में हो दिव्यता, दिखते तीनों काल।
नैन अगर देखें मलिन, जीवन बने बवाल॥

नैन अगर नैतिक रहें, तो मिलता उत्कर्ष।
नैनों में यदि नेह हो, तो जीवन में हर्ष॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply